छल -कपट , धोखा , षड्यंत्र यह सब हर युग में रहा है l रावण ने छल से ही सीता -हरण किया , दुर्योधन और शकुनि का सारा जीवन षड्यंत्र रचने में ही बीता l ऐसी नीति अपनाकर व्यक्ति अपने अहंकार को पोषित करता है l लेकिन यह सब बहुत लम्बे समय तक नहीं चल पाता l ऐसे लोगों का अंत वही होता है जैसा रावण और दुर्योधन का हुआ l वे स्वयं तो डूबते ही हैं , अपना साथ देने वालों को भी डुबो देते हैं l एक कथा है ----- कबूतर की सुविधाएँ देखकर कौए को ईर्ष्या होती कि उसका सब ओर से तिरस्कार होता है और दुत्कारा जाता है और कबूतर को बुलाकर दाना -पानी दिया जाता है , सुरक्षा , सुविधाएँ दी जाती हैं l घर लौटते कबूतर के साथ एक दिन कौआ भी साथ हो लिया l कबूतर बोला --आप कौन हैं ? मेरे पीछे क्यों लगे हैं ? ' कौआ भोला बनकर बोला ---- " न जाने क्यों आपकी सज्जनता और विनम्र स्वभाव देखकर कुछ आपसे सीखने , सत्संग करने और सेवा करने का मेरा मन करता है , इसलिए चला आया हूँ l कृपया अधम की सेवाएं स्वीकार करें l " भोला कबूतर कपटी कौए की बातों में आ गया l कौआ साथ रहने लगा l कबूतर अपने दाना -पानी में से उसे भी हिस्सा दे देता l कौआ छककर खाता किन्तु ताक -झांक से बाज न आता l कबूतर के मालिक ने दड़बे में कौआ देखा तो उसे आश्चर्य हुआ कि यह कैसी विचित्र मित्रता है l एक दिन कबूतर प्रात:काल बाहर जाने को हुआ तो कौए से बोला --चलो बाहर सैर करें l कुछ दाना भी चुग लेगें l कौआ बोला --क्षमा करें आज पेट में बहुत पीड़ा है , रात्रि को इतना खाया कि भूख भी नहीं लगी है l मैं आज विश्राम करूँगा , आप ही घूम आएं l कबूतर चला गया l कौए ने अच्छा मौका देखकर मालिक की रसोई में प्रवेश कर भगोनी में रखी खीर खाना प्रारंभ किया l इतने में नौकर ने आ कर देख लिया कि दुष्ट कौआ खीर खाने में लगा है l उसने तुरंत रसोई का दरवाजा बंद कर दिया और पकड़कर पंख और पैर बांधकर कोने में पटक दिया l कौआ अब पछताया कि छल , कपट , धोखे और लोभ के कारण ही उसकी यह दुर्दशा हुई है l
No comments:
Post a Comment