उस मूर्धन्य वैज्ञानिक ने अनेक विषयों की प्रयोगशाला निर्मित कर रखी थी l सहस्त्रों वैज्ञानिक बहुमूल्य यंत्र -उपकरणों पर अन्वेषण - परिक्षण में व्यस्त थे l बिशप एक दिन अकस्मात उसे देखने आ पहुंचे l संचालक ने सम्मान के साथ अपने प्रयोग और परिणाम बताते हुए कहा --- " हो रहे आविष्कारों से मानवीय सुविधा और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी l " बिशप ने आशंकित मन से पूछा ---- " यदि वैज्ञानिक उपलब्धियों का दुरूपयोग होने लगा तो क्या सुविधाएँ बढ़ने के स्थान पर उलटा विनाश ही तो न खड़ा हो जायेगा ? " वैज्ञानिक ने नम्रता पूर्वक कहा ---- " सुविधाएँ बढ़ाना हमारा काम है और उसके दुरूपयोग को रोकने का वातावरण बनाना आपके समुदाय का --धर्मतंत्र का काम है l "
No comments:
Post a Comment