राजा दशरथ और मायासुर का युद्ध हो रहा था l मायावी राक्षस से सभी राजा पराजित हो चुके थे l दशरथ को भी अपनी विजय में संदेह दिखाई दे रहा था l तब एक नारी संग्राम में उतरी l कैकय राज की पुत्री और दशरथ की पत्नी महारानी कैकयी ने सारथी का पद संभाला l उस दिन राजा दशरथ ने घोर संग्राम कर असुरों के छक्के छुड़ा दिए , इसी बीच रथ के एक पहिए की धुरी टूट गई , रथ ने हिलने -डुलने से जवाब दे दिया l उस समय कैकयी ने अपनी उंगली पहिए में लगा दी और तब तक उस स्थिति में बनी रहीं , जब तक उस दिन का युद्ध समाप्त नहीं हो गया l वह युद्ध कहते हैं राजा दशरथ ने जीता था , पर यदि सच्चाई को व्यक्त होने का अवसर दिया जाए , तो यह विजय पत्नी की कर्तव्यपरायणता की विजय थी l
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