ऋषियों का कहना है ---- ' चींटी का संगृहीत अन्न , मक्खी का संचित शहद और कृपण का संचित धन उनको छोड़ सबके काम आता है l अत: धन का सदुपयोग उसके सार्थक कार्यों में निवेश से है , निरर्थक संग्रह से नहीं l ' ------ एक अमीर सेठ अपनी तिजोरी में सोने की ईंट रखता था और प्रतिदिन उसे खोलकर देखता फिर तिजोरी बंद कर देता l बहुत खुश होता कि उसके पास अपार संपत्ति है l पुत्र ने उसे ऐसा करते देख लिया , वह अपने पिता की कंजूसी से बड़ा परेशान था l तो उस पुत्र ने तिजोरी की चाबी निकाल कर एक -एक सोने की ईंट खिसकाना आरम्भ किया और उसके स्थान पर पीतल की ईंट रखता रहा l इस तरह नाटक करते सारा जीवन बीत गया l अंत समय जब सेठ मरने लगा तो लड़के ने कहा ---- " पिताजी , एक रहस्य की बात बताऊँ , जो आपसे अब तक छुपा रखी थी l " पिता ने कहा ---- " जरुर बताओ बेटा l " पुत्र ने कहा --- " पिताजी , जिन ईंटों को देखकर आप इतना खुश होते थे , वे तो पीतल की हैं l सोने की ईंट तो हमने कब की बेच डालीं l " पिता यह सुनकर रोने लगा , उसको बहुत धक्का लगा , आँखें खुली की खुली रह गईं , उसका हार्ट फेल हो गया l
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