इस संसार में हमेशा से ही देवता और असुरों का अस्तित्व रहा है l जहाँ भी दुर्गुण और दुष्प्रवृत्तियां हैं वही असुरता है l असुरता का एक लक्ष्ण यह भी है कि वे मायावी होते हैं अपना रूप बदल लेते हैं जैसे रावण ने सीता -हरण के लिए साधु का रूप धारण कर लिया , सूर्पनखा जब श्रीराम से मिलने गई तो उसने सुन्दर नारी का रूप रखा l भगवान कृष्ण के बाल्यकाल के प्रसंग में देखें तो सभी राक्षस रूप बदलकर आए थे l ऐसा रूप बदलने की शक्ति अभी समाप्त नहीं हुई , उसका तरीका बदल गया l आसुरी प्रकृति के जो भी व्यक्ति हैं उनका दोहरा व्यक्तित्व होता है l समाज के सामने वे सज्जन और सभ्य बने रहते हैं लेकिन उनका भीतरी जीवन कैसा पतित होता है l समाज सेवा और आदर्शवादिता का ऐसा नाटक वे करते हैं कि यदि आप उनकी सच्चाई जानकर किसी को बताएं तो कोई उस बात का विश्वास भी न करे l ऐसे लोगों की वजह से ही संसार में शोषण , अत्याचार और नकारात्मकता है l तनाव रहित जीवन जीने के लिए ऐसे लोगों की को पहचान कर उनसे दूर रहने में ही भलाई हैं l
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