16 December 2022

WISDOM----

   पं.श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- विनम्रता  व्यक्ति  को   ग्रहणशील , संवेदनशील   बनाती  है  l  विनम्रता  से  व्यक्ति  का  विवेक  जाग्रत  होता  है  , वह  औचित्य् पूर्ण  कार्य  कर  पाता  है  l  विनम्रता  से  ही  व्यक्ति  के  अंदर  सद्गुणों  का  समावेश  होता  है  l '  ये  सद्गुण  ही  व्यक्ति  को   महानता  के  पथ  पर  ले  जाते  हैं   l  पुराण  की  एक  कथा  है ----- किसी  समय   भीलों  की  शबर  जाति  में   कृपालु  नाम  का  व्यक्ति  था  जो   ' वृक्ष  नमन '  मन्त्र विद्या  जानता  था  l  यह  मन्त्र  उसके  अलावा  केवल   उसके  पुत्र  को  ही  पता  था  l   उसकी  विद्या  में  ऐसा  प्रभाव  था  कि  खजूर  के   ऊँचे -ऊँचे  वृक्ष  भी  झुक  जाते  थे   और  उनका  रस  वह  सरलता  से  एकत्र  कर  लेता  था  l  एक  दिन  महाभारत  के  रचयिता  महर्षि  वेदव्यास  ने  उसे  इस  विद्या  का  प्रयोग  करते  देख  लिया   तो  उनके  मन  में  इस  मन्त्र  को  जानने  की  जिज्ञासा  हुई  l  वे  कृपालु  के  नजदीक  गए  ताकि  उससे  नम्रता  से  मन्त्र   सीख   लें  लेकिन  कृपालु  उन्हें  देखकर  भाग  गया   l  वे  उसके  पीछे  उसके  घर  गए  तो  वह  वहां   से   भी  भागने    लगा  l   व्यास जी  समझ  गए  कि  कृपालु  उन्हें  मन्त्र  नहीं  देना  चाहता   और  सामने  आने  से  कतरा  रहा  है  l   इसलिए  वह  शांत  भाव  से  वापस  लौटने  लगे  l  कृपालु  के  बेटे  को  उन  पर  दया  आ  गई  और  उसने  कुछ  कर्मकांड  कर  के  उन्हें  वह  मन्त्र  सिखा  दिया  l  रास्ते  में  व्यास जी  ने  नारियल  के  वृक्ष  को  लक्ष्य  कर  के  मन्त्र  जपा   तो  वह   वृक्ष   झुक  गया   , उन्होंने  एक  नारियल  तोड़  लिया   फिर   ऐसा  मन्त्र  जपा  कि  वह  वृक्ष   फिर  अपनी  जगह  पर  हो  जाये  l    कृपालु  जब  घर  लौटा  तो  उसके  पुत्र  ने  उसे  बताया  कि  उसने   वह  मन्त्र  उन्हें  सिखा  दिया  l  इस  पर  कृपालु  नाराज  होकर  कहने  लगा --- " मूर्ख  है  तू  !  वेदव्यास जी  इतने  बड़े  महापुरुष  हैं  

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