पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---" मनुष्य को सदा अपना विवेक जाग्रत रखना चाहिए l दूसरों की नक़ल कर , बिना अपनी बुद्धि लगाए , वैसा ही करने वाला सदा उपहास का पात्र बनता है l " विज्ञानं ने सारी दुनिया को एक मंच पर ला दिया है l इसके फायदे भी हुए हैं लेकिन जहाँ विवेक का इस्तेमाल नहीं हुआ वहां नुकसान भी बहुत हुआ है l भारतीय संस्कृति जो चरित्र और नैतिक मूल्यों पर टिकी थी , उसका ही पतन हो रहा है l बुद्धिमत्ता इसमें है कि हम अपनी पहचान को बनाये रखें और दूसरे का जो श्रेष्ठ है उसे अपनाएं l विवेकहीन नक़ल कर के कहीं के नहीं रह जाते l ---- दो गधे बोझा उठाये चले जा रहे थे l एक की पीठ पर नमक की और दूसरे की पीठ पर रुई की बोरियां लदी थीं l रास्ते में एक नदी पड़ी l नदी के ऊपर रेत की बोरियों का कच्चा पुल बना था l जिस गधे की पीठ पर नमक की बोरी थीं उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर पड़ा l नदी में गिरते ही नमक पानी में घुल गया और उसका वजन हल्का हो गया l वह यह बात दूसरे गधे को बड़ी प्रसन्नता से बताने लगा l दूसरे गधे ने सोचा कि बढ़िया युक्ति है , ऐसे तो मैं भी अपना भार हलका कर सकता हूँ और उसने बिना सोचे -समझे पानी में छलांग लगा दी किन्तु रुई के पानी सोख लेने के कारण भार कम होने की जगह बहुत बढ़ गया l ' नक़ल में अक्ल की जरुरत होती है l
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