21 August 2022

WISDOM ------

     अनमोल  मोती ------ तुर्की  के  एक  अमीर  के  पुत्र  खुसरो  को  सत्यान्वेषण  की  ऐसी  धुन  लगी   कि  वह  सब  जायदाद ,  ऐश्वर्य   सब  छोड़कर  फकीर  बन  गया   l  उसे  किसी  सत्पुरुष  की   तलाश  थी  ,  जो  उसका  आध्यात्मिक  मार्गदर्शन  कर  सके  l  संयोगवश  उसकी  भेंट  हजरत  निजामुद्दीन  औलिया   से  हुई   l  दोनों  ने  एक  दूसरे  को  पाकर  संतोष  व्यक्त  किया   l  औलिया   को  लगा  कि   अब  एक  सत्पात्र  शिष्य  मिल  गया   l  फिर  भी  परीक्षा  लेनी  जरुरी  थी   l  औलिया  ने  कहा  ----- " तुम  विद्वान्  हो  l   इतनी  भाषाएँ -- अरबी , फारसी , संस्कृत  व  अन्य  हिन्दुस्तानी   भाषाएँ   भी  तुम्हे  आती  हैं   l  तुम्हे  राजदरबार  जाना  चाहिए    l  "   खुसरो  ने  कहा ------     " मैं   सब  छोड़कर   आपके  दरबार  में  आया  हूँ   l  मुझे  किसी  शाही  दरबार  की  जरुरत  नहीं   l  "  हजरत  औलिया  ने   उत्तर  से  प्रसन्न  होकर   उसे  शिष्य  के  रूप  में  स्वीकार  कर  लिया   l   आध्यात्मिक  क्षेत्र  की  प्रगति  गुरु  के   मार्गदर्शन  में  चलती  रही   l  हिंदुस्तान  की  तब  की  स्थिति  को  देखते  हुए   हजरत  साहब  ने  खुसरो  से  कहा  ----- " मैं  तुम्हे  अपने   लिए  ,  देश  के  लिए  कुरबान  करना  चाहता  हूँ   l  तुम  हिन्दू - मुस्लिम  के  बीच  फैली   नफरत  की  आग  को  बुझाओ   l  पूरे  हिंदुस्तान  का  दौरा  करो   l  वह  फिजा  बनाओ   कि  पूरा   राष्ट्र  एक  रह  सके   l  "  अमीर  खुसरो   गुरु  का  आदेश  मानकर  देश  के  कोने -कोने  में  गए   ,  संस्कृति  और  मान्यताओं  से  जुड़े   अपने  गीत  सुनाए   l  तत्कालीन  राष्ट्रीय  एकता  में  खुसरो  का  बड़ा  हाथ  रहा  है   l  आज   भी   भारत  ही  नहीं नहीं ,  पूरे  विश्व  को   अनेक  अमीर  खुसरो   की  जरुरत  है  l 

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