पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " जीवन में उतार -चढ़ाव तो आते ही रहते हैं l अनुकूलता व प्रतिकूलताओं से ही जीवन बना है l ऐसा कभी नहीं हो सकता कि जीवन में सब कुछ अनुकूल हो और ऐसा भी नहीं हो सकता कि जीवन में सब कुछ प्रतिकूल हो l जीवन की परिस्थितियां तो बदलती ही रहती हैं l यदि व्यक्ति अपनी मन:स्थिति को परिस्थितियों के अनुरूप ढाल ले तो वह अनावश्यक उलझनों से बच जाता है और हर स्थिति का लाभ उठा सकता है l जीवन में कुछ ऐसी भी परिस्थितियां भी आती हैं , जिन्हें स्वीकार करना पड़ता है इसलिए जिनकी सोच सकारात्मक है , वे अनावश्यक संघर्ष में अपना समय और शक्ति नहीं गंवाते , बल्कि मन:स्थिति बदलकर उनका लाभ उठाते हैं l ये गुणग्राही होते हैं , उनके लिए हर स्थिति विकास का अवसर है l " एक प्रसंग है ----- एक दिन एक शिष्य ने अपने गुरु से कहा --- " गुरुदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिए गाय भेंट की है " गुरु ने कहा --- " अच्छा हुआ दूध पीने को मिलेगा l " एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर कहा ---- "गुरूजी ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी , वह अपनी गाय वापस ले गया l " गुरु ने कहा --- "अच्छा हुआ ! गोबर उठाने के झंझट से मुक्ति मिलेगी l " बदलती परिस्थिति के साथ सकारात्मकता बनाये रखना ही जीवन में सफलता का एकमात्र सूत्र है l
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