यदि हम पुनर्जन्म को माने तो हमारा वर्तमान जीवन पिछले कई जन्मों में किए गए हमारे कर्मों का ही परिणाम है l जिन रिश्तों में हम उलझे हैं , वे हमारे भूतकाल में किए गए भले -बुरे कर्मों का ही परिणाम है l भूतकाल के हमारे कर्म अच्छे होंगे तो उन रिश्तों से हमें सुख मिलता है लेकिन यदि हमने जाने -अनजाने अनेक गलतियाँ की होंगी तो उन रिश्तों के माध्यम से हमें उनका हिसाब चुकाना पड़ता है l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- भूतकाल तो बीत गया , अब उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है l हमारे हाथ में केवल वर्तमान है l वर्तमान में सत्कर्म कर के हम पिछले पापों के बोझ को कुछ हल्का कर सकते हैं , प्रारब्ध को टालना तो संभव नहीं है लेकिन सत्कर्म की तीव्रता से उन कष्टों की चुभन कम हो जाती है और सुनहरे भविष्य का द्वार खुल जाता है l आचार्य श्री कहते हैं ---सत्कर्म का कोई भी मौका हाथ से जाने न दें l सत्कर्म की पूंजी बड़ी मुसीबतों से हमारी रक्षा करती है l
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