धर्म के नाम पर संसार में कितना लड़ाई झगड़ा है l थोडा बहुत झगड़ा तो ठीक है लेकिन बड़े स्तर पर झगड़ें करने से पहले सच्चा धर्म क्या है ? यह जानना बहुत जरुरी है l एक कथा है ----- एक राजा के तीन पुत्र थे l राजा हर तरह से परख कर ही अपने उत्तराधिकारी का चयन करना चाहता था l इसलिए एक दिन राजा ने उन्हें बुलाकर कहा --- "जाओ , किसी धर्मात्मा को खोजकर लाओ l " तीनों राजकुमार धर्मात्मा की खोज में निकल पड़े l कुछ दिनों बाद एक पुत्र , एक सेठ को लेकर राजा के पास पहुंचा और बोला --- : पिताजी ! इन सेठ जी ने अनेकों धर्मशालाएं व मंदिर बनाए हैं l " राजा ने सेठ से ऐसा करने का कारण पूछा तो उसने कहा ---" मैंने सुना है ऐसा करने से पुण्य मिलता है और हमारा नाम भी चलता रहता है l " राजा ने उनका सम्मान किया और आदर सहित विदा किया l दूसरा राजकुमार एक ब्राह्मण को लेकर लौटा और राजा से उनका परिचय देते हुए बोला --- " यह बहुत ज्ञानी और तपस्वी हैं l " राजा ने उनसे धर्म की परिभाषा पूछी तो उन्होंने कहा ---- " शास्त्र के अनुसार सब कर्मकांड करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है , उसका पालन करना ही धर्म है l " राजा ने उन्हें भी दक्षिणा देकर सम्मानपूर्वक विदा किया l तीसरा राजकुमार एक गरीब से व्यक्ति को लेकर पहुंचा l राजा के पूछने पर वह बोला --- " पिताजी ! यह व्यक्ति एक घायल गाय की सेवा कई दिनों से कर रहा था l मुझे लगा कि इस व्यक्ति के अन्दर सही धर्मात्मा होने का भाव है l " राजा ने उससे पूछा --- " तुम कोई धर्म का काम करते हो ? " वह आदमी बोला -महाराज ! मैं एक गरीब किसान हूँ , अनपढ़ हूँ , धर्म , कर्म कुछ जानता नहीं हूँ l यदि कोई जरूरतमंद , रोगी , दुःखी , अभावग्रस्त दीख पड़ता है तो यथाशक्ति उसकी मदद अवश्य करता हनल " यह सुनकर राजा ने उस तीसरे पुत्र से कहा --- " कुछ पाने की आशा किए बिना सचे ह्रदय से दूसरों की सेवा करना ही धर्म है l तुम ही सच्चे धर्मात्मा को लेकर लौटे हो l तुम्हे मनुष्यों की पहचान है , इसलिए तुम्हे ही राजगद्दी का उत्तराधिकारी नियुक्त किया जाता है l "
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