12 January 2025

WISDOM ----

  युद्ध , लड़ाई -झगड़े , उन्माद , प्राकृतिक  आपदाएं --- भूकंप , तूफ़ान , बाढ़ , सुनामी , आग, दुर्घटनाएं   ----- यह  सब  आदिकाल  से  ही   चली  आ  रही  हैं  , यह  सब  कोई  नई  बात  नहीं  है  l   कितनी  ही  सभ्यताएं  इन्हीं  कारणों  से  काल  के  गर्त  में  समां  गईं  l  अब  जब  वे  खुदाई  में  मिलती  हैं  तब  गणना  होने  पर  समझ  में  आता  है  कि  वे  कितने  हजारों  वर्ष  पुरानी  थीं  l  इन  आपदाओं  से  जो  बच  जाते  हैं  वे  अपनी  बुद्धि  और  ज्ञान  से  केवल  ऊपरी  सतह  पर  इनके  कारण  और  इनसे   सुरक्षा  के  उपाय  खोजते  हैं  ,  वे  इनकी  गहराई  में  नहीं  जाते  कि  इनका  वास्तविक  कारण  क्या  है  ?  और  कैसे  इस  पृथ्वी  पर  सुख -चैन  से  जिया  जा  सकता  है  ?  मनुष्य  ने  अपनी  चेतना  के  द्वार  को  बंद  कर  लिया  है  और  काम , क्रोध , लोभ , मोह  , महत्वाकांक्षा , स्वार्थ , अहंकार   ----- के  जाल  में  फँसकर  , इनमें  लिप्त  होकर  स्वयं  को  ही  भूल  गया  है  l  ईश्वर  ने  कई  बार  अवतार  लेकर  , अपनी  विभिन्न  लीलाओं  से  मनुष्य  को  समझाने  का  बहुत  प्रयास  किया  लेकिन   सांसारिक  आकर्षण  इतना  तीव्र  है  कि  मनुष्य  ने  इसे  अनदेखा  कर  दिया  l  स्वयं  भगवान  श्रीकृष्ण  की  द्वारका   उनके  वंशजों  की  गलतियों  के  कारण  समुद्र  में  डूब  गई  l    ईश्वर  ने  इस  स्रष्टि  की  रचना  की  l  यह  धरती  ईश्वर  को  सबसे  ज्यादा  प्रिय  है  l  वे  चाहते  हैं  कि  मनुष्य   इस   पृथ्वी    को  और  सुंदर  बनाए  l  समस्या  ये  है  कि  ईश्वर  स्वयं  प्रत्यक्ष  रूप  से  बात  नहीं  करते  , वे  संकेतों  में  समझाते  हैं   और  संसार  के  विभिन्न  धर्म  के  पवित्र  ग्रंथों  में   यह  स्पष्ट  किया  गया  है  कि  मनुष्य  को  सुख -शांति  से  जीने  के  लिए  कैसा  आचरण  करना  चाहिए  l  लेकिन  रावण  से  लेकर  अब  तक  मनुष्य  ने  इसे  समझा  ही  नहीं  l  इसलिए  रावण  की  लंका  जल  गई , कौरव  वंश  का  अंत  हो  गया  ,  भीषण  युद्धों  में  खून  की  नदियाँ  बह  गईं  l  ईश्वर  सब  कुछ  सहन  करते  हैं  लेकिन  मनुष्य  के  अहंकार  को  सहन  नहीं  करते  l                                                          लोग  कहते  हैं  ईश्वर  कहाँ  है  ?  हमने  देखा  नहीं  !  यह  प्रकृति  माँ  , आकाश  पिता  ,  सबको  प्राण  ऊर्जा  देने  वाले  सूर्य  भगवान  ही  तो  प्रत्यक्ष  देवता  हैं  जो  हर  पल  हमारे  सामने  हैं , हमें  दर्शन  देते  हैं  l  लेकिन  जब  मनुष्य  इनके  उपेक्षा  कर   स्वयं  को  भगवान  समझता  है  l  अपने  अहंकार  में  लोगों  पर  अत्याचार  करता  है  l   अपनी  शक्ति , पद , धन , वैभव , सौन्दर्य  , रंग ,  धर्म , जाति , ऊँच -नीच   आदि  विभिन्न  कारणों  से  अपने  अहंकार  में  आकर  लोगों  को  प्रताड़ित  करता  है , निर्दोष  के  प्राण  लेता  है , लोगों  के  जीवन  को  नरकतुल्य  बना  देता  है  ---- तब  ऐसे  उत्पीड़ित  लोगों  की  आहें  इस   वायुमंडल  में  रहती  हैं  l  इतिहास  के  पन्ने  पलटें  तो  देखें  कितने  भयंकर  युद्ध  हुए , कभी रंग  के  आधार  पर , कभी  धर्म  के  आधार  पर  कभी  बिना  कारण  ही  महिलाओं  और  बच्चों  और  गर्भस्थ  शिशु  पर  अत्याचार  किए  ,  उन  सबकी  आहें  इस  वायुमंडल  में  हैं , वे  अतृप्त  आत्माएं   आज  भी  अपनी  मुक्ति  के  लिए  भटक  रहीं  हैं  l  इन्हें  मुक्त  करने  के  लिए  प्रयास  करना  तो  बहुत  दूर  की  बात  है ,  मनुष्य  इतना  स्वार्थी  हो  गया  है  कि   लगभग  सारे  संसार  में  ही   लोग   तंत्र  जैसे  विभिन्न  तरीकों  से  इन   आत्माओं  को  अपने  नियंत्रण  में  कर  के  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करते  हैं  l   एक  तो  वायुमंडल  में  व्याप्त  ये  आहें  और  इसके  साथ   मनुष्य  का  यह  स्वार्थ   यह  सब  मिलकर  ही   अनहोनी  घटनाओं  को  जन्म  देते  हैं  ,  प्राकृतिक  आपदाएं  आती  है  l  ईश्वर  चाहते  हैं  मनुष्य  इनसान  बने  ,  किसी  को  सताओ  नहीं , बद्दुआ  न  लो  l  एक  बार  इनसान  बनों  और  देखो  कि  दुआओं  में  कितनी  ताकत  है  l  प्रकृति  से  प्रेम  करो  l  कितने  भी  ताकतवर  हो  जाओ  ,  ईश्वर  से  बड़ा   कोई  नहीं  l   यह   अहंकार   ही   सब के  पतन  का  कारण  है  l  

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