13 January 2025

WISDOM -----

   पुराण  में  अनेक  कथाएं  हैं  l  ये  कथाएं  बहुत  संक्षिप्त  में  हैं  लेकिन  इनमे  प्रत्येक  युग  के  लिए   कोई  न  कोई  महत्वपूर्ण  तथ्य  अवश्य  दिया  गया  है  l  गहराई  से  अध्ययन -मनन  करने  पर  वह  समझ  में  आता  है  l  एक  कथा  है  ----  एक  राजा  थे  --महाराज  ययाति  l  उनके  जिंदगी  के  दिन  पूरे  हो  गए  तो  यमराज  उन्हें  लेने  पहुंचे  l  वे  यमराज  के  आगे  बहुत  रोए  और विनती  करने  लगे  कि  अभी  तो  मेरी  इच्छाएं  पूरी  ही  नहीं  हुईं  ,  मुझे  कुछ  समय  का  जीवन  और  दो  ताकि  मैं  अपनी अतृप्त    इच्छाओं   को  पूरा  कर  सकूँ  l  यमराज  ने  उन्हें  बहुत  समझाया  कि  ये   सुख -भोग  की  कामनाएं  कभी  पूर्ण  नहीं  होतीं  लेकिन  ययाति  तो  रोते , गिडगिडाते  रहे  l  यमराज  को  दया  आ  गई  और  उन्होंने  कहा    --- 'ठीक  है  , तुम   अपने  पुत्र   से  उनकी  आयु  के  कुछ  वर्ष  मांग  लो  तो  तुम्हे  उतने  वर्ष  मिल  जाएंगे  और  पुत्र  की  आयु  में  उतने  वर्ष  कम  हो  जाएंगे  l  ययाति  के  कई  पुत्र  थे  , सबने  अपने  पिता  को  अपनी  आयु  देने  से  मना  कर  दिया  ,  अंत  में  छोटे  पुत्र  को  दया  आ  गई   उसने  अपनी  आयु  के  सौ  वर्ष  अपने  पिता  को  दे  दिए  l  ययाति  का  स्वार्थ  पूरा  हुआ  और  वे  भोग  विलास  में  डूब  गए  l  ऐसी  कथा  है  कि  ऐसा  दस  बार  हुआ   , हजार  वर्षों  तक  सुख -भोग  भोगने  के  बाद  भी  वे  कभी  तृप्त  नहीं  हुए  l  ---- इस  कथा  में  एक  महत्वपूर्ण  बात  यह  है  कि  उस  युग  में  लोगों  में  वीरता  थी  ,  वे  अपनी  कामना -वासना  की  पूर्ति  के  लिए  समाज  से  छिपकर  कोई  कार्य  नहीं  करते  थे  , ययाति  ने    अपनी  कमजोरियों  को  प्रत्यक्ष  रूप  से  सबके  सामने  रखा  और  पुत्र  से    उसकी  आयु  मांग  ली  l  कलियुग  की  सबसे  बुरी  बात  यह  है  कि  अब  लोग  समाज  के  सामने  अच्छे  बनते  हैं   ताकि  उनके  पीछे  छिपी  कालिख  को  कोई  देख  न  सके  l  विज्ञानं  ने  इस  छिपा -छिपी  के  खेल  को  और  मजबूती  दे  दी  l  अब  कोई  सामने  से  आयु  नहीं  मांगता  ,  अब  एनर्जी  वैम्पायर  हैं  l   ये  एनर्जी  वैम्पायर   किसी  तरीके  से  या  किसी  एंटिटी  की  मदद  से  किसी  की  भी  एनर्जी  को  खींच  लेते  हैं   और  उससे  अपनी   कामना -वासना   महत्वाकांक्षा  और  अतृप्त  इच्छाओं  को  पूरा  करते  हैं   और  एक  अज्ञात  तार  से  किसी  अन्य  को  भी  सप्लाई  कर  देते  हैं  l  जिन्हें  दूसरों  की  एनर्जी  पर  सुख -भोग  का  जीवन   जीने   की  आदत  पड़   जाती  है  , यदि  किसी  कारण  से  इसमें  बाधा  आ  जाए  तब  श्रीमद् भगवद्गीता  का  कथन   सत्य  है  ---- कामना  में  पूर्ति  में  बाधा  से  क्रोध  की  उत्पत्ति  होती  है   और  क्रोध  से  बुद्धि  का  विनाश  ----- यह  विपरीत  बुद्धि  क्या  न  कर  दे  कोई  नहीं  जानता  l  ये  एनर्जी  वैम्पायर    मायावी  असुर  ही  हैं   जो  भूत , प्रेत , पिशाच   जैसी  नकारात्मक  शक्तियों  को  अपने  वश  में   रखकर  उनसे  आसुरी  कार्य  कराते हैं  और  हा --हा  कर  के  हँसते  हैं  l  

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