24 January 2025

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- " ईश्वर  को  अनुशासन  प्रिय  है  l  जो  भी  इस  अनुशासन  को  तोड़ेगा  ,  उसे  क्षमा  नहीं  मिल  सकती  है  l  दंड  अवश्य  मिलेगा  l  यह  स्रष्टि  नियमों  से  बंधी  है  l  प्रकृति  ईश्वरीय  विधान  के  अनुरूप  परिचालित  है  l  नियमों  के  खिलाफ  चलने  का  तात्पर्य  है   दंड  का  भागीदार  होना  l  "  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- ' यदि  क्षमा  का  प्रावधान  होता  तो  भगवान  राम  ने  रावण  और  उसकी  आसुरी  सेना  को  क्षमा  कर  दिया  होता  l  यदि  गलती  से  भी  माफी  की  गई  होती  तो  आज  कुम्भकरण , जयद्रथ  ,  शिशुपाल , जरासंध , कंस  आदि  आततायियों   ने  धरती  को  अपने  कब्जे  में  ले  लिया  होता  ,  पर  ऐसा  नहीं  हुआ  , सभी  को  उनके  कुकर्मों  का  दंड  मिला , सभी  अत्याचारियों  का  अंत  हुआ  l  भगवान  श्रीराम  तो  करुणाकर  थे  ,  जिनकी  करुणा  और  संवेदना  जग  जाहिर  है   लेकिन  उन्होंने  असुरों  को  क्षमा  नहीं  किया  l  इसी  तरह  भगवान  श्रीकृष्ण  ने  कौरवों  को  उनकी  उदंडता  के  लिए  क्षमा  नहीं  किया  l  अनीति  का  साथ  देना  भी  अनीति  करने  जैसा  है  ,  इसलिए  उन्होंने  भीष्म पितामह ,  द्रोणाचार्य , कृपाचार्य , कर्ण  आदि  का  अंत  करा  दिया  l  इस  स्रष्टि  में  ईश्वरीय  विधान  सर्वोपरि  है  l  कोई  उससे  बड़ा  नहीं  है  l  जो  भी  ईश्वरीय  विधान  को  तोड़ता  है  उसे  क्षमा  नहीं  मिलती  l  "

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