27 February 2025

WISDOM -----

    जाति  प्रथा  केवल  हमारे  देश  में  ही  नहीं  है  ,  संसार  के  विभिन्न  देशों  में , विभिन्न  धर्मों  में   भेदभाव  अवश्य  है   l  इसे  कुछ  भी  नाम  दे  दिया  जाये  ,  इससे  कोई  फर्क  नहीं  पड़ता  क्योंकि  इनमें  एक  वर्ग  पीड़ित  है  और  दूसरा  उसे   भिन्न -भिन्न  तरीकों  से  सताने  वाला   l  जाति  के  नाम  पर  लोग  इतना  लाभ  कमाते  हैं  कि  धर्म  भी  उसके  आगे  फीका  पड़  जाता  है  l  एक  लोक  कथा  है  ---- एक  सेठ  था  l  अपार  संपदा  थी  उसके  पास  l  जितनी  संपदा  थी  , उससे  कई  गुना  उसे  लालच  था  l  बहुमूल्य  संपदा  को  वह  मटकों  में  भरकर  जमीन  में  गाड़  कर  रखता  था  l   इतनी  संपत्ति  एकत्रित  करने  के  लिए  वह  स्वांग  रचता  था  l  उसकी  हुकूमत  आसपास  के  आठ -दस  गांवों  तक  थी  l  उसने  गुप्त  रूप  से  अपनी  एक  सेना  बना  रखी  थी  जिसमें  कुछ  युवक , कुछ  वृद्ध   पुरुष   और   कुछ  वृद्ध  महिलाएं  भी  थी  l  ये  लोग  क्या  करते  हैं ,  उस  सेठ  की  ऐसी  कोई  सेना  है  ,  इस  बात  को  कोई  नहीं  जानता  था  l  वह  सेठ  इन  गाँवों  में    अक्सर  कोई  न  कोई  उत्सव  , प्रवचन ,  गाँव  के  लोगों  की  कलाकारी  से  संबंधित  तमाशा  कराता  रहता  था  l  जब  ये  कार्यक्रम   निश्चित  होते  तब  सेठ  के  ये  सैनिक  जो  गाँव  के  ही  विभिन्न  परिवारों  के  थे  ,  उनके  और  अधिक  हमदर्द  बनकर   लोगों  के  पास  जाते   और  कभी  प्यार  से  कभी  धमकी  देकर  लोगों  को  समझाते  कि  सेठ  जो  भी  करा  रहा  है  , उसमे  तुम्हे  जाना  है ,  गाँव  के  कल्याण  के  लिए  निश्चित  राशि  जमा  करनी  है   अन्यथा  तुम्हे  जाति  से  बहिष्कृत  कर  दिया  जायेगा , तुम्हारा  हुक्का -पानी  बंद  कर  दिया  जायेगा  l  गाँव  के  सीधे -सरल  लोग  , मरता  क्या  न  करता   अपना  पेट  तन  काटकर   इस  'आदेश ' को  मानते  l  उन्हें  भय  था  कि  जाति  से  बहिष्कृत  हो  गए  तो  अकेले  कैसे  रहेंगे , बच्चों  का  विवाह  कैसे  होगा  ?   गरीबी  और  भुखमरी  के  कारण   वहां  महामारी  फ़ैल  गई  ,   वे  गाँव  वीरान  हो  गए  ,  जो  बच  गए  वे  रातों -रात  गाँव  छोड़कर  चले  गए  l  अब  उस  वीराने  में  सेठ  अकेला  , अपनी  संपदा  के  ढेर  पर  बैठा  था  ,  और  छाती  पीट -पीट  कर  रो  रहा  था  कि   उसके  वैभव  पर  उसके  क़दमों  में  सिर  झुकाने  वाला  अब  कोई  नहीं  है  l  वह  चीख -चीख  कर  अपनी  करतूत  बता  रहा  था  लेकिन  सुनने  वाला  कोई  नहीं  था  l  उसका  परिवार  भी  महामारी  की  चपेट  में  आ   चुका  था  l  उस  गाँव  से  जब  बहुत  दिनों  तक  कोई  आवाजाही  नहीं  हुई  तो   तो  लोगों  ने  वहां  जाकर  पता  लगाना   चाहा  की  क्या  बात  हो  गई  ?  जब  लोग  वहां  पहुंचे  तो  देखा  पूरा  गाँव  वीरान  था   और  सेठ  अपने  कमरे  में   अपनी  छाती  पर   बहुमूल्य  संपदा  को  दोनों  हाथों  से  दबाए  मृत  पड़ा  था  l  

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