4 March 2025

WISDOM ------

मनुष्य  की  मूल  प्रवृत्तियां  --काम , क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार   --यह  सब  अति  प्राचीन  काल  से  ही  मनुष्य  में  हैं  l  सतयुग  में  इसका  प्रतिशत  कम  था  लेकिन  कलियुग  में  यह  अपने  चरम  पर  है  l  कलियुग  में   इन  दुष्प्रवृत्तियों  के  साथ   छल , कपट , धोखा , तिकड़म , दुष्प्रचार  जैसे  कायरतापूर्ण  कार्य  भी  अत्यधिक  होते  हैं  l   रावण   स्वयं  को  राक्षसराज  रावण  कहता  था  ,  लेकिन  उसने  अपने  सगे  -सम्बन्धियों   के  साथ  धोखा , छल  नहीं  किया  l   रावण  चाहता  तो  विभीषण  को  लालच  दे  सकता  था  कि  तुम  राम  को  छोड़कर  वापस  आ  जाओ  , तुम्हे  आधा  राज्य  दे  देंगे  l  विभीषण  उसकी  बातों  में  आकर  वापस  लौट  जाता  तो  वह  उसे  मरवा  देता  l  लेकिन  रावण  ने  ऐसा नहीं  किया  ,  वो  कायर  नहीं  था  ,  वीर  था  l  वेद -शास्त्रों  का  ज्ञाता  और  महापंडित  था  l  इस  कलियुग  का  सबसे  बड़ा  दोष  यही  है  कि   अब  मनुष्य  विश्वास  के  काबिल  नहीं  है  l  भाई -भाई  के  संपत्ति  के  झगड़े  के  मुक़दमे  से  अदालतें  भरी  हैं  l  धोखे  से  किसी  को  भी  मारने  की  घटनाएँ  सामान्य  हैं  l  रिश्तों  के  नाम  पर  परस्पर  स्नेह  नहीं  है , शोषण  है  l  यह  एक  कटु  सत्य  है  कि  बड़े -बड़े  अपराधियों  की    शुरुआत   परिवार  में  ही  छोटे -छोटे  अपराधों  को  करने  से  होती  है  l  ऐसा  क्यों  होता  है  ?   क्योंकि  लालच , कामना , वासना  अपने  चरम  शिखर  पर  है   और  ये  दुर्गुण  मनुष्य  की  बुद्धि  को  भ्रष्ट  कर  देते  हैं  l  उसे  मौके  की  तलाश  होती  है   और  ऐसा  मौका  उसे  परिवार में  , मित्रों  और  निकट  सम्बन्धियों  में  आसानी  से  मिल  जाता  है  l  यहीं  से  उसके  अपराधिक  जीवन  की  शुरुआत  हो  जाती  है  l  जागरूकता  बहुत  जरुरी  है  l  मनुष्य  या  तो  स्वयं  को  सुधारने  का  प्रयास  करे  , अन्यथा  ये  दुर्गुण  व्यक्ति  को  मानसिक  रूप  से  विकृत  कर  देते  हैं  l  फिर  ये  सम्पूर्ण  समाज  के  लिए  खतरा  होते  हैं  l  

3 March 2025

WISDOM -----

 कर्मफल  के  सिद्धांत  को  माने  या  न  माने  ,  यह  व्यक्ति  की  अपनी  इच्छा  है  l  लेकिन  यह  निश्चित  है  कि  मनुष्य  का  जीवन  प्रकृति  के  अनुसार  ही  चलता  है  l  जैसे  हर  रात  के  बाद  दिन  होता  है ,  फिर  दिन  के  बाद  रात  l  यह  क्रम  निरंतर  चलता  ही  रहता  है  l  इसी  तरह  मनुष्य  के  जीवन  में  कभी  दुःख  और  कष्ट  की  अँधेरी  रात  होती  है   और  कभी  सुख  का  सुनहरा  सूर्योदय  होता  है  l  कभी  पतझड़  तो  कभी  वसंत  l  प्रकृति  के  इस  नियम  को  स्वीकार  करने  पर  ही   व्यक्ति  तनाव रहित  जीवन  जी  सकता  है  l  शांति  का  जीवन  जीने  के  लिए  उस  अद्रश्य  शक्ति  पर  गहरी  आस्था  होनी  चाहिए  l  आज  की  सबसे  बड़ी  समस्या  यही  है  कि  मनुष्य  स्वयं  को  भगवान  समझने  लगा  है  ,  फिर  आस्था  और  विश्वास  किस  पर  करें ?  

2 March 2025

WISDOM ------

    भौतिकता  की  अंधी  दौड़  के  साथ  मनुष्य  की  मानसिकता  बहुत  बदल  गई  l  कलियुग  का  भी  असर  है  कि   अधिकांश  व्यक्ति  अच्छाई  में  भी  बुराई  ढूंढ  लेते  हैं  l  किसी  के  साथ  अच्छा  व्यवहार  करो  तो  लोग   उसे   उसकी  कमजोरी  और  दिखावा  समझते  हैं  कि  जरुर  कोई  स्वार्थ  होगा  इसीलिए सद् व्यवहार  है  l  लेकिन  मनुष्य  के  अतिरक्त  सभी  प्राणी --पशु -पक्षी  आदि  इस  भौतिकता  की  दौड़  में  नहीं  हैं   इसलिए  वे  नि:स्वार्थ  प्रेम  को  समझते  हैं  l  इनसान  से  अधिक  विश्वसनीय   अब  पशु -पक्षी  हैं   l  एक  कथा  है  ----- एक  राजा  ने  एक  दिन  स्वप्न  देखा   कि  कोई  साधु  उससे  कह  रहा  है  कि   बेटा  !  कल  रात  को   तुझे  एक विषैला  सर्प  काटेगा   और  उसके  काटने  से  तेरी  मृत्यु  हो  जाएगी  l  वह  सर्प  अमुक  पेड़  की  जड़  में  रहता  है  ,  पूर्व  जन्म  की  शत्रुता  का  बदला  लेने  के  लिए   वह  तुझे  काटेगा  l  राजा  धर्मात्मा  था   , उसे  स्वप्न  की  सत्यता  पर  विश्वास  था  l  राजा  ने  सोचा  कि   मधुर  व्यवहार  से  सर्प  के  मन   में  जो  शत्रुता  है  ,  उसे  दूर  किया  जा  सकता  है  l  यह  निर्णय  कर  राजा  ने  उस  पेड़  की  जड़  से  लेकर  अपनी  शैया  तक  फूलों  का  बिछौना  बिछवा  दिया  ,  सुगन्धित  जल  का   छिड़काव   कराया  ,  मीठे  दूध  के  कटोरे  जगह -जगह  रखवा  दिए   और  सेवकों  से  कह  दिया  कि  रात  को  जब  सर्प  निकले   तो  कोई  भी  उसे   किसी  प्रकार  का कष्ट   पहुँचाने  का  प्रयत्न  न  करे    रात  के  ठीक  बारह  बजे  सर्प  अपनी  बाबी  में  से  फुफकारता  हुआ  निकला   और  राजा  के  महल  की तरफ  चल  दिया  l  रास्ते  में  मीठा  दूध , सुगन्धित  जल , फूलों  का  बिछौना  -- इन  सबके  आनंद  से  उसके  मन  का  क्रोध  शांत  होने  लगा  l  द्वार  पर  खड़े  सशस्त्र  प्रहरी  ने  भी  उसे  कोई  कष्ट  नहीं  दिया  l  वह  सोचने  लगा  कि  जो  राजा  इतना  धर्मात्मा  है  , शत्रु  के  साथ  इतना  मधुर  व्यवहार  करता  है  उसे  काटूं  कैसे  ?   राजा  के  पलंग  तक  पहुँचने  तक  उसका  निश्चय  बदल  गया  था  l  वहां  पहुंचकर  उसने  राजा  से  कहा --- " हे  राजन  !  मैं  तुम्हे  काटकर  अपने  पूर्व  जन्म  का  बदला  चुकाने  आया  था   परन्तु  तुम्हारे  सद व्यवहार  ने   मुझे  परास्त  कर  दिया  l  अब  मैं  तुम्हारा  शत्रु  नहीं  मित्र  हूँ  l  उसने  मित्रता  के  उपहार स्वरुप  अपनी  बहुमूल्य  मणि  राजा  को  दी  और  वापस  अपने  घर  चला  गया  l  

1 March 2025

WISDOM -----

  संसार  में   जब -तब  युद्ध , दंगे -फसाद    होते  रहते  हैं  l    यह  मानव  निर्मित  आपदा  है  l  इसके  अनेक  कारण  है  l  प्राचीन  समय  में   राजा  अपनी  शक्ति , योग्यता  , प्रशासनिक  कुशलता  के  बल  पर  चक्रवर्ती  सम्राट  बनते  थे   और  उनके  शासनकाल  में  प्रजा  बहुत  सुखपूर्वक  रहती  थी  l  चारों  ओर  शांति  रहती  थी l  कला , साहित्य , उद्योग   ,  व्यापार  सभी  क्षेत्र  तरक्की  करते  थे , कहीं  कोई  अराजकता , अशांति  नहीं  होती  थी  l  ऐसा  युग  'स्वर्ण युग  ' कहलाता  था  l  चक्रवर्ती  सम्राट   बनने   की  प्रतिस्पर्धा  तो  अब  भी  है   l  लेकिन  अब  इसके  मायने  बदल  गए  l  अब  प्रशासनिक  कुशलता  का  स्थान  धन -संपदा  ने  ले  लिया  l  जो  जितना  अमीर  है  , उसकी  उतनी  ही  हुकूमत  है  l  अति  की  धन -संपदा  व्यापारी  वर्ग  ही  अर्जित  कर  सकते  हैं  l  व्यापारी  का  उदेश्य   अधिकाधिक  लाभ  कमाना  होता  है ,  उनमें  संवेदना  नहीं  होती  l  वे  केवल  अपना  हित  देखते  हैं  ,  लोगों  के  सुख -दुःख  से  उन्हें  कोई  मतलब  नहीं  होता  l   मात्र  सोच  बदल  जाने  से  संसार  में  युद्ध  उत्पात  होते  हैं  l  जब  सत्ता  की  चाबी  व्यापारियों  के  हाथ  में  आ   जाती   है  तो ' जन हित ' के  स्थान  पर ' स्वहित ' हो  जाता  है  l   सारी  नीतियाँ  ऐसी  ही  बनती  हैं  जिससे  वे  और अमीर ---और  अमीर  होते  जाएँ  l   हथियार  का  व्यापारी  चाहेगा  की  युद्ध  होते  रहें   ताकि  उसके  हथियार  बिक  जाएँ , दवा , इंजेक्शन  बनाने  वाला  चाहेगा  कि  लोग  खूब  बीमार  पड़ें  जिससे  वो  और  अमीर  हो  जाये  l  रासायनिक  खाद , बीज  , कीटनाशक  का  निर्माता  चाहेगा  कि  कृषि  में  इनका  अधिकाधिक  प्रयोग  हो  चाहें  इनकी  वजह  से  कितनी  ही   घातक    बीमारियाँ  क्यों  न  हो  जाएँ  l  जब  सारा  संसार  धन  के  पीछे  भागेगा  तो  किसी  भी  राष्ट्र  की  नींव  --शिक्षा , चिकित्सा , बाल -कल्याण  --- ये  क्षेत्र  भी  बेईमानी  और  भ्रष्टाचार  में  कोई  कमी  नहीं  रहने  देंगे  l  धन -संपदा  की  एक  खास  बात  है   कि  यदि  धन   सीमित  मात्रा  में  है  और  उसका  सदुपयोग  होता  है   तब  वह  परिवार  हो  या  कोई  देश  हो  वह  फलता  -फूलता  है  लेकिन  यदि  वही  धन  असीमित   मात्रा    में  है   और  उसका  दुरूपयोग  होता  है  तब  ऐसा  धन   व्यक्ति  हो , परिवार  हो  या  कोई  राष्ट्र  हो  उसे  भीतर  से  खोखला  कर  देता  है  l  बाहरी   तौर    से  तो  बहुत  दिखावा ,  बहुत  शान-शौकत  होगी   लेकिन  भीतर  से  खोखला  l  इसलिए  धन  का  सदुपयोग  करने  की  कला   आनी    चाहिए  l  यदि  आज  के  जो  इतने  अमीर  हैं  यदि  इन्हें   धन   के  सदुपयोग  करने  की  कला  आ  जाये   तो  इनके   जीवन  में  ही  संसार  इन्हें  देवता  की  तरह  पूजे  l  लेकिन  देवता  बनना  इतना  आसान  नहीं  है  l  अब  तो  देवता  बनने  के  मार्ग  पर  अग्रसर   साधु -संत  भी  धन  की  चपेट  में  आकर   अपने  मार्ग  से  भटक  गए  l  ईश्वर  सबको  सद्बुद्धि  दे  l