कर्मफल के सिद्धांत को माने या न माने , यह व्यक्ति की अपनी इच्छा है l लेकिन यह निश्चित है कि मनुष्य का जीवन प्रकृति के अनुसार ही चलता है l जैसे हर रात के बाद दिन होता है , फिर दिन के बाद रात l यह क्रम निरंतर चलता ही रहता है l इसी तरह मनुष्य के जीवन में कभी दुःख और कष्ट की अँधेरी रात होती है और कभी सुख का सुनहरा सूर्योदय होता है l कभी पतझड़ तो कभी वसंत l प्रकृति के इस नियम को स्वीकार करने पर ही व्यक्ति तनाव रहित जीवन जी सकता है l शांति का जीवन जीने के लिए उस अद्रश्य शक्ति पर गहरी आस्था होनी चाहिए l आज की सबसे बड़ी समस्या यही है कि मनुष्य स्वयं को भगवान समझने लगा है , फिर आस्था और विश्वास किस पर करें ?
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