26 April 2025

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं ----- ' व्यक्ति  के  श्रेष्ठ  कर्म  ढाल  के  समान   उसकी  रक्षा  करते  हैं   और  दुष्कर्म  असमय  ही  उसे  मौत  के  मुँह  में   ढकेल  देते  हैं  l   एक  दिन  सभी  को   मृत्यु  के  आँचल  में   पसरना  है  ,  तो  क्यों  न  जीवित  रहते   स्वयं  को   श्रेष्ठतम  कर्मों  में   लगाए  रखा  जाये   l  श्रेष्ठ  कर्मों  से  भगवान   भी  प्रसन्न  होते  हैं  और  उनकी  कृपा द्रष्टि   बनी  रहती  है  l  बड़ी -बड़ी  दुर्घटनाएं  एक  छोटा  सा  काँटा  चुभने   में   निकल  जाती  हैं  l  "  ------ ज्योर्तिमठ  के  शंकराचार्य   के  शिष्य   कृष्ण बोधाश्रम    120  वर्ष  जीवित  रहे  l  एक  बार  वे  प्रवास  पर  थे  l  उस  इलाके  में  लगातार  चार  वर्ष  से  पानी  नहीं  गिरा  था  l  कुएं -तालाबों  का  पानी  सूख  गया  था  l  सभी  आए  और  कहा --- " महाराज  जी  !   उपाय  बताएं  ! "  वे  बोले  ---- "  पुण्य  होंगे   तो  प्रसन्न  होगा  भगवान  l "  लोगों  ने  पूछा  --- 'क्या  पुण्य  करें  ? '  तब  महाराज जी  ने  कहा --- "  सामने  तालाब  है  , उसमें  थोडा  ही  पानी  है  l  इसमें  मछलियाँ  मर  रही  हैं  ,  पानी  डालो  l "  लोग  बोले  --- "  हमारे  लिए  ही  पानी  नहीं  है  , मछलियों   को  पानी  कहाँ  से  दें  ?  "   महाराज  ने  कहा ---- " कहीं  से  भी  लाओ  , कुओं  से  भर -भरकर  लाओ    और  तालाब  में  डालो  l "  सभी  ने  पानी  तालाब  में  डालना  शुरू  किया  l  तीसरे  दिन  बदल  आए  l  घटाएं  भरकर  महीने  भर  बरसीं  l  सारा  दुर्भिक्ष --पानी  का  अभाव  दूर  हो  गया  l  

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