हमारे ऋषियों ने , विद्वानों ने , कथाकारों ने बहुत छोटी -छोटी कथाएं कहीं हैं l वे छोटी अवश्य हैं लेकिन उनके भीतर ऐसा ज्ञान और प्रेरणा है जो परिवार , समाज और राष्ट्र सभी के लिए उपयोगी है ------- दो बिल्लियाँ थीं , प्रेम से रहतीं और मिल -बांटकर खाती थीं l एक दिन उन्हें एक रोटी मिल गई , घी चुपड़ी थी , बहुत अच्छी उसकी खुशबू थी तो स्वाद कितना अच्छा होगा l दोनों बिल्लियों की इच्छा थी कि पूरी रोटी वे ही खा लें l इस रोटी को लेकर दोनों आपस में लड़ने लगीं l लड़ाई बहुत बढ़ गई l पेड़ पर बैठा बन्दर यह सब देख रहा था l लालच उसके मन में भी था , क्यों न वह झपट्टा मारकर इस पूरी रोटी को हड़प ले l बन्दर को एक युक्ति सूझी , वह तराजू लेकर बिल्लियों के पास गया और बोला --- ' बिल्ली मौसी ! क्यों लड़ती हो ? मेरे पास तराजू है , लाओ मैं रोटी को आधा -आधा कर दूँ l ' बिल्लियों ने बन्दर पर विश्वास कर लिया l बन्दर बहुत चालाक था , उसने रोटी को इस तरीके से आधा किया कि तराजू का एक पलड़ा भार से नीचे था l उसे बराबर करने के लिए उसने उसमें से थोड़ी रोटी तोड़कर स्वयं ही अपने मुँह में रख ली l अब तराजू का दूसरा पलड़ा भार से नीचे हो गया , बन्दर ने उसमें से भी थोड़ी रोटी तोड़कर खा ली l दोनों बिल्लियाँ बन्दर का मुँह देख रहीं थी कि आखिर किस विधि से यह रोटी को आधा -आधा कर रहा है l दोनों बिल्लियाँ उसका मुँह ही देखती रह गईं और बन्दर पूरी रोटी चट कर पेड़ पर चढ़ गया और खी -खी कर बिल्लियों को चिढ़ाने लगा l तभी एक लोमड़ी आ गई उसने कहा ---- दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा होता है l अपने झगड़े आपस में ही निपटाओ , किसी अन्य का दखल होगा तो ऐसा ही होगा l
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