'संत रज्जब हर क्षण प्रभु की याद में खोये रहते थे | वह मिलने के लिये आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने तमाम अवगुण त्याग कर सादा सरल जीवन बिताने की बात कहते | उनका कहना था कि सच्चा इनसान ,फिर भले ही वह किसी मजहब का हो ,उसे शराब या अन्य किसी नशीले पदार्थ से दूर रहना चाहिये | उनकी बातों का असर इतना जादुई था कि अनेक लोग उन्हें सुनकर सन्मार्ग अपना चुके थे |
पता नहीं क्यों उन्ही के गाँव में रहते हुए मुहम्मद जुबैर नाम का युवा कुसंग में पड़कर अपराधी बन चुका था | जुआ खेलना ,शराब पीना और शराब पीने के बाद नेक लोगों को परेशान करना ,उसके प्रिय कार्य थे | एक दिन जुबैर ज्यादा पीने के कारण नाली में गिर पड़ा था | तभी उधर से संत रज्जब निकले | उन्होंने उसे उठाया और उसका मुँह धोया ,फिर वहां खड़े लोगों से बोले -"जिस मुँह से ईश्वर का पवित्र नाम लेना चाहिये ,उससे शराब पीकर गालियाँ बकते फिरना गुनाह है |
जुबैर को जब कुछ देर बाद होश आया तो लोगों ने उसे बताया कि संत रज्जब खुद अपने हाथ से उसका मुँह धोकर गये हैं तथा उन्होंने मुँह से अल्लाह का नाम लेने के बजाय अनाप -शनाप खाने -पीने एवं बोलने को गुनाह बताया है |
यह सुनकर जुबैर सोच में पड़ गया और उसने कहा -"मेरे जिस मुँह को संत ने अपने हाथों से धोया है उससे अब कभी गुनाह न होंगे | "संत के स्पर्श का यह चमत्कार देखकर लोग चकित थे |
पता नहीं क्यों उन्ही के गाँव में रहते हुए मुहम्मद जुबैर नाम का युवा कुसंग में पड़कर अपराधी बन चुका था | जुआ खेलना ,शराब पीना और शराब पीने के बाद नेक लोगों को परेशान करना ,उसके प्रिय कार्य थे | एक दिन जुबैर ज्यादा पीने के कारण नाली में गिर पड़ा था | तभी उधर से संत रज्जब निकले | उन्होंने उसे उठाया और उसका मुँह धोया ,फिर वहां खड़े लोगों से बोले -"जिस मुँह से ईश्वर का पवित्र नाम लेना चाहिये ,उससे शराब पीकर गालियाँ बकते फिरना गुनाह है |
जुबैर को जब कुछ देर बाद होश आया तो लोगों ने उसे बताया कि संत रज्जब खुद अपने हाथ से उसका मुँह धोकर गये हैं तथा उन्होंने मुँह से अल्लाह का नाम लेने के बजाय अनाप -शनाप खाने -पीने एवं बोलने को गुनाह बताया है |
यह सुनकर जुबैर सोच में पड़ गया और उसने कहा -"मेरे जिस मुँह को संत ने अपने हाथों से धोया है उससे अब कभी गुनाह न होंगे | "संत के स्पर्श का यह चमत्कार देखकर लोग चकित थे |
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