यह जीवन और जगत कर्मप्रधान है | अशुभ कर्म अपने अशुभ परिणाम प्रस्तुत करते हैं और शुभ कर्मो के परिणाम सदा-सर्वदा शुभ होते हैं |
जिंदगी का ढर्रा हमारी सोच-समझ व द्रष्टिकोण के अनुसार चलता है | यदि यह सही नहीं है तो जीवन का ढर्रा व ढांचा भी सही नहीं होग | ऐसी स्थिति में एक संकट के जाने के बाद दूसरा आएगा, दूसरे के बाद तीसरा.....चौथा, पांचवां , यह सिलसिला चलता ही रहेगा |
यदि इसे रोकना है तो हमें सोच-समझ व द्रष्टिकोण में बदलाव लाना पड़ेगा, कर्म बदलने के लिये चिंतन बदलना पड़ेगा |
जिंदगी के प्रत्येक प्रश्न के समाधान की सरल राह सकारात्मक चिंतन, शुभ-कर्म और ईश्वर के प्रति भावपूर्ण भक्ति है |
जिंदगी का ढर्रा हमारी सोच-समझ व द्रष्टिकोण के अनुसार चलता है | यदि यह सही नहीं है तो जीवन का ढर्रा व ढांचा भी सही नहीं होग | ऐसी स्थिति में एक संकट के जाने के बाद दूसरा आएगा, दूसरे के बाद तीसरा.....चौथा, पांचवां , यह सिलसिला चलता ही रहेगा |
यदि इसे रोकना है तो हमें सोच-समझ व द्रष्टिकोण में बदलाव लाना पड़ेगा, कर्म बदलने के लिये चिंतन बदलना पड़ेगा |
जिंदगी के प्रत्येक प्रश्न के समाधान की सरल राह सकारात्मक चिंतन, शुभ-कर्म और ईश्वर के प्रति भावपूर्ण भक्ति है |
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