इस संसार में धन-संपदा का बहुत मूल्य है | धन संसार की जरुरत है, लेकिन धन के प्रति एक अजीब सा आकर्षण लोगों के मन में है और इसी कारण अधिकांश लोग ' निन्यानवे के फेर ' में हैं अर्थात अपने धन से संतुष्ट नहीं हैं , उसे और बढ़ाने की कोशिश में लगे रहते हैं |
धन के प्रति अत्याधिक आसक्ति हमें लाचार बना देती है । हमारे मन को संकीर्णता से भर देती है और ऐसा होने पर व्यक्ति अशुभ कर्म करने से नहीं चूकता । धनवान होने के साथ-साथ विवेक होना भी जरुरी है । विवेक होने पर ही धन का सार्थक उपयोग संभव है ।
दो मित्र थे, उनमे से एक आस्तिक था व दूसरा नास्तिक आस्तिक। के रहन-सहन का स्तर बड़ा सरल और कार्य-व्यवहार बड़ा शिष्ट था । वह आत्मसंतोषी भी था, परिश्रम से जितना मिलता उसी में संतुष्ट रहता था ।
इसके विपरीत नास्तिक दिनभर इसी उधेड़बुन में लगा रहता कि अधिकाधिक धन अर्जन कैसे किया जाये, किस तरह भौतिक सुख-साधन एकत्रित करें । एक दिन नास्तिक मित्र ने अपने आस्तिक मित्र से कहा-- " तुम्हारा त्याग वास्तव में बहुत बड़ा है, तुमने भगवान की भक्ति में सारी दुनियादारी ही छोड़ दी । " आस्तिक न उत्तर दिया--- " भाई, तुम्हारा त्याग तो और भी बड़ा है, तुमने तो दुनिया के लिये ईश्वर को ही छोड़ दिया है । "
नास्तिक को उस दिन एक सीख मिली । उसने अपना जीवनक्रम पूरी तरह बदल दिया ।
धन के प्रति अत्याधिक आसक्ति हमें लाचार बना देती है । हमारे मन को संकीर्णता से भर देती है और ऐसा होने पर व्यक्ति अशुभ कर्म करने से नहीं चूकता । धनवान होने के साथ-साथ विवेक होना भी जरुरी है । विवेक होने पर ही धन का सार्थक उपयोग संभव है ।
दो मित्र थे, उनमे से एक आस्तिक था व दूसरा नास्तिक आस्तिक। के रहन-सहन का स्तर बड़ा सरल और कार्य-व्यवहार बड़ा शिष्ट था । वह आत्मसंतोषी भी था, परिश्रम से जितना मिलता उसी में संतुष्ट रहता था ।
इसके विपरीत नास्तिक दिनभर इसी उधेड़बुन में लगा रहता कि अधिकाधिक धन अर्जन कैसे किया जाये, किस तरह भौतिक सुख-साधन एकत्रित करें । एक दिन नास्तिक मित्र ने अपने आस्तिक मित्र से कहा-- " तुम्हारा त्याग वास्तव में बहुत बड़ा है, तुमने भगवान की भक्ति में सारी दुनियादारी ही छोड़ दी । " आस्तिक न उत्तर दिया--- " भाई, तुम्हारा त्याग तो और भी बड़ा है, तुमने तो दुनिया के लिये ईश्वर को ही छोड़ दिया है । "
नास्तिक को उस दिन एक सीख मिली । उसने अपना जीवनक्रम पूरी तरह बदल दिया ।
वह अपने ज्ञान का लाभ दूसरों को देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का शिक्षण देने लगा
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