हम सभी का मन एक दर्पण की भांति है | सुबह से शाम तक इस दर्पण पर धूल जमती रहती है | जो लोग इस धूल को अपने मन पर जमने देते हैं, वे दर्पण नहीं रह पाते | जिसका मन जितनी मात्रा में दर्पण है, उतनी ही मात्रा में उसमे सत्य प्रतिबिंबित होता है ।
सूफी संत बायजीद से किसी साधक ने कहा कि विचारों का प्रवाह उसे बहुत परेशान कर रहा है
बायजीद ने उसे चिकित्सा के लिये अपने मित्र फकीर समद के पास भेज दिया और उससे कहा---
" जाओ, उनकी समग्र दिनचर्या ध्यान से देखो । उसी से तुम्हे राह मिलेगी । "
उस साधक को वहां पहुंचकर अचरज हुआ, क्योंकि ये फकीर समद एक सराय में चौकीदारी का काम करते थे । उसे वे बहुत ही साधारण व्यक्ति दिखाई दिये । ज्ञान के कोई लक्षण उनमे उसे नजर नहीं आये । हाँ, वे सरल बहुत थे, एकदम शिशुवत निर्दोष जीवन था उनका ।
उनकी दिनचर्या में एक खास बात यह थी कि रात को सोने से पहले वे सराय के सारे बर्तन माँजते थे और सुबह उठकर भी सबसे पहले इन बर्तनों को धो लेते थे । बहुत पूछने पर उन्होंने कहा-- " सोने से पहले बरतनों की गंदगी हटाने के लिये मैं बरतनों को माँजता हूँ और रात भर में उनपर थोड़ी बहुत धूल पुन: जम जाती है, इसलिये सुबह उन्हें फिर से धोना जरुरी हो जाता है । "
साधक को इसमें कोई विशेष बात नजर नहीं आई और वह निराश होकर बायजीद के पास लौट आया । उनके पूछने पर उसने निराश मन से सारी बात बता दी
सारी बातें सुनकर बायजीद बोले-- " काम की सारी बातें तुमने देखी और सुनी तो हैं, पर समझी नहीं । समझदारी यही है कि तुम भी फकीर समद की तरह अपने मन को रात को सोने से पहले मांजो और सुबह उसे धो डालो । मन के दर्पण को जिसने साफ करना सीख लिया-- समझो उसने जिंदगी का रहस्य जान लिया ।
' मन शुद्ध, पवित्र और संकल्पवान बन जाये तो जीवन की दिशा धारा बदल जाती है । मन की पवित्रता शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है ।
सूफी संत बायजीद से किसी साधक ने कहा कि विचारों का प्रवाह उसे बहुत परेशान कर रहा है
बायजीद ने उसे चिकित्सा के लिये अपने मित्र फकीर समद के पास भेज दिया और उससे कहा---
" जाओ, उनकी समग्र दिनचर्या ध्यान से देखो । उसी से तुम्हे राह मिलेगी । "
उस साधक को वहां पहुंचकर अचरज हुआ, क्योंकि ये फकीर समद एक सराय में चौकीदारी का काम करते थे । उसे वे बहुत ही साधारण व्यक्ति दिखाई दिये । ज्ञान के कोई लक्षण उनमे उसे नजर नहीं आये । हाँ, वे सरल बहुत थे, एकदम शिशुवत निर्दोष जीवन था उनका ।
उनकी दिनचर्या में एक खास बात यह थी कि रात को सोने से पहले वे सराय के सारे बर्तन माँजते थे और सुबह उठकर भी सबसे पहले इन बर्तनों को धो लेते थे । बहुत पूछने पर उन्होंने कहा-- " सोने से पहले बरतनों की गंदगी हटाने के लिये मैं बरतनों को माँजता हूँ और रात भर में उनपर थोड़ी बहुत धूल पुन: जम जाती है, इसलिये सुबह उन्हें फिर से धोना जरुरी हो जाता है । "
साधक को इसमें कोई विशेष बात नजर नहीं आई और वह निराश होकर बायजीद के पास लौट आया । उनके पूछने पर उसने निराश मन से सारी बात बता दी
सारी बातें सुनकर बायजीद बोले-- " काम की सारी बातें तुमने देखी और सुनी तो हैं, पर समझी नहीं । समझदारी यही है कि तुम भी फकीर समद की तरह अपने मन को रात को सोने से पहले मांजो और सुबह उसे धो डालो । मन के दर्पण को जिसने साफ करना सीख लिया-- समझो उसने जिंदगी का रहस्य जान लिया ।
' मन शुद्ध, पवित्र और संकल्पवान बन जाये तो जीवन की दिशा धारा बदल जाती है । मन की पवित्रता शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है ।
No comments:
Post a Comment