' गरीबी अपने आप में कोई अपमान जनक बात नहीं है | उसे दुत्कारा तब जाता है, जब वह मूर्खता, आलस, असावधानी या दुर्व्यसनों की वजह से आयी हो । '
दिन भर भीख मांगने के बाद भिखारी एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा । उसी राह से एक मजदूर आया और वह भी पेड़ के नीचे आकर बैठ गया । भिखारी ने एक द्रष्टि मजदूर पर डाली और उससे बोला--- " तुमने आज दिनभर जितनी कमाई की, उतनी तो मैं आधे दिन में कर लेता हूँ । भला तुम में और मुझ में क्या अंतर रहा । "
मजदूर बोला--- " मित्र ! अंतर परिश्रम और जाहिली का है । मैं अपने पुरुषार्थ से कमाता हूँ और उस कमाई को गर्व से अनुभव करता हूँ, जबकि तुम याचना के पात्र बनते हो और उस धन को अपना मान लेते हो । " भिखारी का आत्मसम्मान जागा और वह भी मेहनत करने निकल पड़ा ।
दिन भर भीख मांगने के बाद भिखारी एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा । उसी राह से एक मजदूर आया और वह भी पेड़ के नीचे आकर बैठ गया । भिखारी ने एक द्रष्टि मजदूर पर डाली और उससे बोला--- " तुमने आज दिनभर जितनी कमाई की, उतनी तो मैं आधे दिन में कर लेता हूँ । भला तुम में और मुझ में क्या अंतर रहा । "
मजदूर बोला--- " मित्र ! अंतर परिश्रम और जाहिली का है । मैं अपने पुरुषार्थ से कमाता हूँ और उस कमाई को गर्व से अनुभव करता हूँ, जबकि तुम याचना के पात्र बनते हो और उस धन को अपना मान लेते हो । " भिखारी का आत्मसम्मान जागा और वह भी मेहनत करने निकल पड़ा ।
No comments:
Post a Comment