' जिस दिन हम अपने सोचने का ढंग सुधार लेंगे, उस दिन मानव जीवन पर लगा अस्वस्थता का ग्रहण उतर जायेगा । ' यदि व्यवहार में प्रकृति का साहचर्य एवं चिंतन में परमात्मा का साहचर्य बना रहे तो फिर स्वास्थ्य-संकट नहीं खड़े होते ।
माता सत्यवती ने व्यास जी से कहा----- " पुत्र ! ऐसा लगता है, महाराज शांतनु पर अब किसी औषधि का प्रभाव नहीं हो रहा है । उनकी असाध्य व्याधि बढ़ती ही जा रही है । "
व्यास ने परमतपस्वी महर्षि अथर्वण को राजी किया कि वे साथ चलकर राजा को देखें । राजनीति से सर्वथा दूर अथर्वण का हस्तिनापुर आना सभी को आश्चर्यचकित कर रहा था । उनने महाराज को देखा और बोल पड़े कि आप प्रारब्ध के कुयोग एवं मनोग्रंथियों से पीड़ित हैं । अपनी जीवनशैली आपको पूरी तरह बदलनी होगी । शांतनु ने पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया ।
चिकित्सा प्रारंभ हुई । औषधिकल्प, मंत्र प्रयोग, कई अनुष्ठान एवं प्रायश्चित प्रयोग किये गये । शांतनु की देह एवं मन;स्थिति धीरे-धीरे बदलने लगी । ऋषि की इस आध्यात्मिक चिकित्सा ने उन्हें पूर्ण स्वस्थ कर दिया ।
साक्षी बने महर्षि व्यास ने कहा---- " ऋषिवर ! आप द्वारा स्थापित यह पुण्य कार्य चलता रहे, इसलिए चौथे वेद-- ' अथर्ववेद ' का प्रणयन जरुरी है ।
अथर्वण ऋषि के आशीर्वाद से अथर्ववेद रचा गया और वह आध्यात्मिक चिकित्सा का स्थापक ग्रंथ बना ।
माता सत्यवती ने व्यास जी से कहा----- " पुत्र ! ऐसा लगता है, महाराज शांतनु पर अब किसी औषधि का प्रभाव नहीं हो रहा है । उनकी असाध्य व्याधि बढ़ती ही जा रही है । "
व्यास ने परमतपस्वी महर्षि अथर्वण को राजी किया कि वे साथ चलकर राजा को देखें । राजनीति से सर्वथा दूर अथर्वण का हस्तिनापुर आना सभी को आश्चर्यचकित कर रहा था । उनने महाराज को देखा और बोल पड़े कि आप प्रारब्ध के कुयोग एवं मनोग्रंथियों से पीड़ित हैं । अपनी जीवनशैली आपको पूरी तरह बदलनी होगी । शांतनु ने पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया ।
चिकित्सा प्रारंभ हुई । औषधिकल्प, मंत्र प्रयोग, कई अनुष्ठान एवं प्रायश्चित प्रयोग किये गये । शांतनु की देह एवं मन;स्थिति धीरे-धीरे बदलने लगी । ऋषि की इस आध्यात्मिक चिकित्सा ने उन्हें पूर्ण स्वस्थ कर दिया ।
साक्षी बने महर्षि व्यास ने कहा---- " ऋषिवर ! आप द्वारा स्थापित यह पुण्य कार्य चलता रहे, इसलिए चौथे वेद-- ' अथर्ववेद ' का प्रणयन जरुरी है ।
अथर्वण ऋषि के आशीर्वाद से अथर्ववेद रचा गया और वह आध्यात्मिक चिकित्सा का स्थापक ग्रंथ बना ।
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