' जीवन एक कला है, जो लोग जीवन जीने की कला नहीं जानते वे जीते हुए भी ठीक से नहीं जी पाते |' यह कला तो वास्तव में मानसिक वृति है, जिसके आधार पर साधनों की कमी में भी जिंदगी को खूबसूरती के साथ जिया जा सकता है । जिंदगी को हर समय हँसी-खुशी के साथ अग्रसर करते रहना ही कला है । उसे रो-पीटकर काटना ही कलाहीनता है । जो जीवन की अनुकूलता व प्रतिकूलता के परिवर्तनों का समभाव से उपभोग कर लेता है, वही कुशल कलाकार कहा जायेगा ।
छात्र जीवन की बात है । तीर्थराम को दूध बड़ा पसंद था । कसरती शरीर था , वे एक हलवाई से प्रतिदिन दूध लेकर पीते थे । पैसे की तंगी होने से वे एक महिना दूध का पैसा नहीं दे पाए और तुरंत बाद लाहौर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में अध्यापक पद पर नियुक्त होने पर वहां जाना पड़ा । अब वे प्रतिमाह हलवाई को मनीआर्डर से राशि भेजने लगे । लगभग छः माह यह क्रम चला तो वह हलवाई एक दिन समय निकालकर लाहौर आया और तीर्थराम से बोला--- " आपका तो एक महीने का उधार था, आप तो छः माह से दिए जा रहें हैं मेरे पास सब जमा है । वह आपको लौटा दूंगा, अब आप न भेजा करें । "
प्रोफेसर बोले---- " आज मेरा स्वास्थ्य अच्छा है तो तुम्हारे दूध के कारण । तुमने उस समय बिना पैसे मिले ही मुझे अनवरत स्नेहवश दूध दिया, मैं तुम्हारा कर्ज जीवन भर अदा न कर पाउँगा । "
यह तीर्थराम आगे चलकर स्वामी रामतीर्थ बने । उनने जो कार्य किया वह संस्कृति के विस्तार के निमित था ।
छात्र जीवन की बात है । तीर्थराम को दूध बड़ा पसंद था । कसरती शरीर था , वे एक हलवाई से प्रतिदिन दूध लेकर पीते थे । पैसे की तंगी होने से वे एक महिना दूध का पैसा नहीं दे पाए और तुरंत बाद लाहौर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में अध्यापक पद पर नियुक्त होने पर वहां जाना पड़ा । अब वे प्रतिमाह हलवाई को मनीआर्डर से राशि भेजने लगे । लगभग छः माह यह क्रम चला तो वह हलवाई एक दिन समय निकालकर लाहौर आया और तीर्थराम से बोला--- " आपका तो एक महीने का उधार था, आप तो छः माह से दिए जा रहें हैं मेरे पास सब जमा है । वह आपको लौटा दूंगा, अब आप न भेजा करें । "
प्रोफेसर बोले---- " आज मेरा स्वास्थ्य अच्छा है तो तुम्हारे दूध के कारण । तुमने उस समय बिना पैसे मिले ही मुझे अनवरत स्नेहवश दूध दिया, मैं तुम्हारा कर्ज जीवन भर अदा न कर पाउँगा । "
यह तीर्थराम आगे चलकर स्वामी रामतीर्थ बने । उनने जो कार्य किया वह संस्कृति के विस्तार के निमित था ।
No comments:
Post a Comment