मर्यादा में रहने पर शक्ति - यश और कीर्ति बढ़ाने वाली होती है । रावण ने शक्ति का अर्जन बहुत किया परंतु वह इसका लोक-कल्याण के लिए प्रयोग करना भूल गया । उसने अपनी शक्ति को अहंकार के प्रदर्शन और मर्यादा को छिन्न-भिन्न करने में लगा दिया और इसीलिए उसका अंत मर्यादा पुरुषोतम के हाथों हुआ ।
भगवान राम ने शक्ति का प्रयोग लोकहित के लिए, नीति की स्थापना के लिए किया ताकि लोग इस राह पर चलकर उस चरम को छू सकें, अपनी चेतना को इतना विकसित कर लें कि स्वयं को धन्य मान सकें । भगवान राम मर्यादा के शिखरपुरुष थे ।
विजयादशमी आसुरी शक्ति का पराभव एवं देवत्व के महान विजय का प्रतीक पर्व है ।
कोई भी विजय यात्रा शक्ति की साधना के बिना अधूरी है । अत: आतंक के प्रतिनिधि रावण के समूल विनाश का संकल्प लिए भगवान राम ने सर्वप्रथम शक्ति-साधना संपन्न की ।
देवीपुराण में उल्लेख है कि महायुद्ध से पूर्व आराधना करने पर राम और रावण दोनों के सामने शक्ति प्रकट हुई थीं । भगवान राम को उन्होंने ' विजयी भव ' का आशीर्वाद दिया ।
वहीँ दूसरी ओर शक्ति ने महाउपासक रावण को ' कल्याणमस्तु ' का वरदान दिया और कहा तुम्हारा कल्याण हो ।
रावण का कल्याण उसके अहंकार और असुरत्व के साथ मिट जाने में ही था । यह कल्याण उसके आतंक के विनाश में सन्निहित था । रावण के मिट जाने से ही युग को विकास और प्रगति मिल सकी । भगवान राम ने शक्ति और मर्यादा का समुचित पालन करके ही आतंक का, आसुरी शक्तियों का संहार किया ।
भगवान राम ने शक्ति का प्रयोग लोकहित के लिए, नीति की स्थापना के लिए किया ताकि लोग इस राह पर चलकर उस चरम को छू सकें, अपनी चेतना को इतना विकसित कर लें कि स्वयं को धन्य मान सकें । भगवान राम मर्यादा के शिखरपुरुष थे ।
विजयादशमी आसुरी शक्ति का पराभव एवं देवत्व के महान विजय का प्रतीक पर्व है ।
कोई भी विजय यात्रा शक्ति की साधना के बिना अधूरी है । अत: आतंक के प्रतिनिधि रावण के समूल विनाश का संकल्प लिए भगवान राम ने सर्वप्रथम शक्ति-साधना संपन्न की ।
देवीपुराण में उल्लेख है कि महायुद्ध से पूर्व आराधना करने पर राम और रावण दोनों के सामने शक्ति प्रकट हुई थीं । भगवान राम को उन्होंने ' विजयी भव ' का आशीर्वाद दिया ।
वहीँ दूसरी ओर शक्ति ने महाउपासक रावण को ' कल्याणमस्तु ' का वरदान दिया और कहा तुम्हारा कल्याण हो ।
रावण का कल्याण उसके अहंकार और असुरत्व के साथ मिट जाने में ही था । यह कल्याण उसके आतंक के विनाश में सन्निहित था । रावण के मिट जाने से ही युग को विकास और प्रगति मिल सकी । भगवान राम ने शक्ति और मर्यादा का समुचित पालन करके ही आतंक का, आसुरी शक्तियों का संहार किया ।
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