एक ही व्यक्ति कृषक , श्रमिक , लेखक , वक्ता , पत्रकार , राजनीतिज्ञ , दार्शनिक , सेनानी , प्रशासक , संगीतज्ञ और खिलाड़ी कैसे हो सकता है , इस पर वे कहा करते --- समय का निर्धारण और नियत समय पर नियत कार्य में पूरे मनोयोग के साथ लग जाने की आदत जिसे भी होगी वह समयानुसार अपने प्रिय विषयों में निष्ठावान बन सकेगा ।
छोटी स्थिति में जन्मे , गरीबी में पले , लुहार , ठठेरा , बढ़ई , मोची जैसे कठिन परिश्रम के कामों को करते हुए अपनी जीविका का साधन जुटाया और अपने सद्गुणों के सहारे अभाव और विफलताओं को चीरते हुए आगे बढ़े । अमेरिका के स्वतंत्रता -संग्राम में जार्ज वाशिंगटन के वह दाहिने हाथ माने जाते थे ---- सर्वतोमुखी प्रतिभासंपन्न बेंजामिन फ्रैंकलिन को अमेरिका में ही नहीं सारे विश्व में एक जिन्दा -दिल व्यक्ति के रूप में स्मरण किया जाता है ।
जीवन में जितने भी काम उन्होंने किये , उनमे कोई न कोई क्रांतिकारी सुधार किया । जब उन्हें अमेरिका के उपनिवेशों का पोस्टमास्टर जनरल बनाया गया तब पत्रों पर टिकट चिपकाने की वर्तमान पद्धति उन्होंने चलाई , आधुनिक डाक वितरण का क्रम चलाया । विज्ञापन छापने का नया तरीका ढूंढ निकाला जिससे समाचार पत्र और विज्ञापनदाता दोनों ही लाभान्वित होने लगे ।
वह कहते थे मनुष्य शक्तियों का भंडार है , यदि वह उन्हें काम में लाने की पद्धति जान ले तो हर साधारण समझा जाने वाला व्यक्ति असाधारण बन सकता है ।
फ्रैंकलिन वयोवृद्ध नवयुवक के नाम से विख्यात थे , वे कहते थे --- बूढ़ा वह है जो निराश हो गया , जिसने पुरुषार्थ छोड़ दिया , जिसकी आकांक्षाएं मर गईं । मैं बूढ़ा न कभी हुआ और न बुढ़ापा मेरे पास भटक सकेगा । जीवन जीने की कला को उन्होंने समझा और अपने व्यवहार में उतारा ।
84 वर्ष की आयु तक अपनी जिंदगी को मस्ती , फुर्ती , तत्परता और व्यवस्थापूर्वक जिया और हर स्थिति में हँसते रहने की आदत को अपने प्रशंसकों के लिए एक बहुमूल्य वसीयत के रूप में छोड़ गये ।
छोटी स्थिति में जन्मे , गरीबी में पले , लुहार , ठठेरा , बढ़ई , मोची जैसे कठिन परिश्रम के कामों को करते हुए अपनी जीविका का साधन जुटाया और अपने सद्गुणों के सहारे अभाव और विफलताओं को चीरते हुए आगे बढ़े । अमेरिका के स्वतंत्रता -संग्राम में जार्ज वाशिंगटन के वह दाहिने हाथ माने जाते थे ---- सर्वतोमुखी प्रतिभासंपन्न बेंजामिन फ्रैंकलिन को अमेरिका में ही नहीं सारे विश्व में एक जिन्दा -दिल व्यक्ति के रूप में स्मरण किया जाता है ।
जीवन में जितने भी काम उन्होंने किये , उनमे कोई न कोई क्रांतिकारी सुधार किया । जब उन्हें अमेरिका के उपनिवेशों का पोस्टमास्टर जनरल बनाया गया तब पत्रों पर टिकट चिपकाने की वर्तमान पद्धति उन्होंने चलाई , आधुनिक डाक वितरण का क्रम चलाया । विज्ञापन छापने का नया तरीका ढूंढ निकाला जिससे समाचार पत्र और विज्ञापनदाता दोनों ही लाभान्वित होने लगे ।
वह कहते थे मनुष्य शक्तियों का भंडार है , यदि वह उन्हें काम में लाने की पद्धति जान ले तो हर साधारण समझा जाने वाला व्यक्ति असाधारण बन सकता है ।
फ्रैंकलिन वयोवृद्ध नवयुवक के नाम से विख्यात थे , वे कहते थे --- बूढ़ा वह है जो निराश हो गया , जिसने पुरुषार्थ छोड़ दिया , जिसकी आकांक्षाएं मर गईं । मैं बूढ़ा न कभी हुआ और न बुढ़ापा मेरे पास भटक सकेगा । जीवन जीने की कला को उन्होंने समझा और अपने व्यवहार में उतारा ।
84 वर्ष की आयु तक अपनी जिंदगी को मस्ती , फुर्ती , तत्परता और व्यवस्थापूर्वक जिया और हर स्थिति में हँसते रहने की आदत को अपने प्रशंसकों के लिए एक बहुमूल्य वसीयत के रूप में छोड़ गये ।
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