विश्व मानव को सुखी व समृद्ध बनाने के लिए भविष्य के द्रष्टा अपने गहन चिंतन के परिणाम स्वरुप ऐसे सिद्धांत प्रतिपादित कर जाते हैं जो उनकी समय में सर्वथा काल्पनिक व अव्यवहारिक लगते हैं , किन्तु आगे जाकर वे ही व्यवस्था में आते हैं , उन्हें क्रियान्वित किया जाता है ।
अपने ' एन ऐसे ऑन दी प्रजेण्ट एण्ड फ्यूचर पीस ऑफ़ यूरोप ' नामक दस्तावेज में उन्होंने अपने गहन चिंतन के आधार पर विश्व शांति के सम्भाव्य हल तथा युद्ध की विभीषिका से मुक्ति का मार्ग सुझाया है । यह दस्तावेज आज भी विश्व शांति के लिए पथ प्रदर्शन कर सकता है ।
विलियम पेन का जन्म लंदन में 1644 में हुआ था । उनके पिता ब्रिटिश नौसेना में एडमिरल थे । उन दिनों इंग्लैंडवासियों को वही धर्म मानना होता था जो उनके राजा को पसंद होता था , व्यक्ति की आत्मा पर भी राजा का पहरा होता था । विलियम ज्यों -ज्यों बड़े होते गये उन्हें यह बंधन अखरने लगा । उस समय लाखों व्यक्ति इस अन्यायपूर्ण कानून से पीड़ित थे ।
विलियम पेन क्वेकर नामक शान्ति संगठन के अनुयायी बन गये जो राजाज्ञा द्वारा प्रतिबंधित था , अत: उन्हें नौ महीने का सश्रम कारावास हुआ । पेन का उद्देश्य इंग्लैंडवासियों में स्वतंत्रता की भावना को जगाना था , उन्हें पांच बार जेल जाना पड़ा किन्तु कटघरे में बंद करके भी उनकी आवाज को बंद नहीं किया जा सकता था ।
जेल में ही उनका चिंतन -मनन चलता रहा , नयी -नयी योजनाएं बनायीं , जेल की दीवारों पर अपने सिद्धांतों को लिखा , अब वह एक सम्प्रदाय के नेता से ऊपर उठकर स्वतंत्रता के सिद्धांत के जनक बन गये । जब वे जेल से बाहर निकले तो यूरोप के एक सशक्त लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी थे । चार्ल्स द्धितीय , जेम्स द्धितीय , रानी ऐनी जैसे राजपरिवार के लोग भी उनके प्रशंसक बन चुके थे । उन्होंने कितने ही लोगों को अन्याय के दमन चक्र से मुक्त कराया ।
अपने ' पवित्र प्रयोग ' के लिए उन्होंने अब इंग्लैंड छोड़कर अमेरिका को चुना । चार्ल्स द्धितीय से 50000 पौंड में उन्होंने अमेरिका का एक विस्तृत भूभाग डेल्वेयर नदी के पास ख़रीदा और यहां अपने उस चिंतन को व्यवहारिक रूप देने का कार्य किया । उनके विचार , सिद्धांत पहले ही फैल चुके थे , इस प्रदेश के निवासियों ने उनका जोर -शोर से स्वागत किया और उस प्रदेश का नाम उनके नाम पर पेन्सिलवेनिया कर दिया । उन्होंने महत्वपूर्ण सपनो को साकार करना आरम्भ किया ---- फिलडेल्फिया नगर बसाने की योजना बनायीं , प्रत्येक मकान का अपना बगीचा और प्रत्येक सड़क वृक्षों से ढकी बनायीं गई , उनके सुशासन में सभी प्रकार की सुख शांति थी , आदिवासी रेड इण्डियन तथा यूरोपीय देशों से आकर बसने वाले सब भाईचारे से रहते थे । पेन ने यहां का अपना एक संविधान बनाया था , वयस्क मताधिकार था , धर्म व संस्कृति में सरकार कोई दखल नहीं देती थी , सबके लिए समान न्याय था , प्रतयेक नागरिक को स्वतंत्रता के साथ आत्मनिर्भर व समृद्ध बनाने की सुविधाएं थीं , कलाकारों , कारीगरों कृषकों को बसने की सुविधा जुटायी गईं , व्यापार को प्रोत्साहन दिया गया , गरीब बच्चों को निः शुल्क शिक्षा दी जाती थी और यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं वरन जीवन के समग्र विकास की कसौटी पर खरी उतरती थी । इस प्रकार आज से लगभग 300 वर्ष पहले विलियम पेन ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन से संघर्ष किया , प्रजातंत्र व स्वतंत्रता के सिद्धांतो की पृष्ठभूमि तैयार की और सुख, शांतिपूर्ण सुशासन के सपने को साकार किया ।
अपने ' एन ऐसे ऑन दी प्रजेण्ट एण्ड फ्यूचर पीस ऑफ़ यूरोप ' नामक दस्तावेज में उन्होंने अपने गहन चिंतन के आधार पर विश्व शांति के सम्भाव्य हल तथा युद्ध की विभीषिका से मुक्ति का मार्ग सुझाया है । यह दस्तावेज आज भी विश्व शांति के लिए पथ प्रदर्शन कर सकता है ।
विलियम पेन का जन्म लंदन में 1644 में हुआ था । उनके पिता ब्रिटिश नौसेना में एडमिरल थे । उन दिनों इंग्लैंडवासियों को वही धर्म मानना होता था जो उनके राजा को पसंद होता था , व्यक्ति की आत्मा पर भी राजा का पहरा होता था । विलियम ज्यों -ज्यों बड़े होते गये उन्हें यह बंधन अखरने लगा । उस समय लाखों व्यक्ति इस अन्यायपूर्ण कानून से पीड़ित थे ।
विलियम पेन क्वेकर नामक शान्ति संगठन के अनुयायी बन गये जो राजाज्ञा द्वारा प्रतिबंधित था , अत: उन्हें नौ महीने का सश्रम कारावास हुआ । पेन का उद्देश्य इंग्लैंडवासियों में स्वतंत्रता की भावना को जगाना था , उन्हें पांच बार जेल जाना पड़ा किन्तु कटघरे में बंद करके भी उनकी आवाज को बंद नहीं किया जा सकता था ।
जेल में ही उनका चिंतन -मनन चलता रहा , नयी -नयी योजनाएं बनायीं , जेल की दीवारों पर अपने सिद्धांतों को लिखा , अब वह एक सम्प्रदाय के नेता से ऊपर उठकर स्वतंत्रता के सिद्धांत के जनक बन गये । जब वे जेल से बाहर निकले तो यूरोप के एक सशक्त लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी थे । चार्ल्स द्धितीय , जेम्स द्धितीय , रानी ऐनी जैसे राजपरिवार के लोग भी उनके प्रशंसक बन चुके थे । उन्होंने कितने ही लोगों को अन्याय के दमन चक्र से मुक्त कराया ।
अपने ' पवित्र प्रयोग ' के लिए उन्होंने अब इंग्लैंड छोड़कर अमेरिका को चुना । चार्ल्स द्धितीय से 50000 पौंड में उन्होंने अमेरिका का एक विस्तृत भूभाग डेल्वेयर नदी के पास ख़रीदा और यहां अपने उस चिंतन को व्यवहारिक रूप देने का कार्य किया । उनके विचार , सिद्धांत पहले ही फैल चुके थे , इस प्रदेश के निवासियों ने उनका जोर -शोर से स्वागत किया और उस प्रदेश का नाम उनके नाम पर पेन्सिलवेनिया कर दिया । उन्होंने महत्वपूर्ण सपनो को साकार करना आरम्भ किया ---- फिलडेल्फिया नगर बसाने की योजना बनायीं , प्रत्येक मकान का अपना बगीचा और प्रत्येक सड़क वृक्षों से ढकी बनायीं गई , उनके सुशासन में सभी प्रकार की सुख शांति थी , आदिवासी रेड इण्डियन तथा यूरोपीय देशों से आकर बसने वाले सब भाईचारे से रहते थे । पेन ने यहां का अपना एक संविधान बनाया था , वयस्क मताधिकार था , धर्म व संस्कृति में सरकार कोई दखल नहीं देती थी , सबके लिए समान न्याय था , प्रतयेक नागरिक को स्वतंत्रता के साथ आत्मनिर्भर व समृद्ध बनाने की सुविधाएं थीं , कलाकारों , कारीगरों कृषकों को बसने की सुविधा जुटायी गईं , व्यापार को प्रोत्साहन दिया गया , गरीब बच्चों को निः शुल्क शिक्षा दी जाती थी और यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं वरन जीवन के समग्र विकास की कसौटी पर खरी उतरती थी । इस प्रकार आज से लगभग 300 वर्ष पहले विलियम पेन ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन से संघर्ष किया , प्रजातंत्र व स्वतंत्रता के सिद्धांतो की पृष्ठभूमि तैयार की और सुख, शांतिपूर्ण सुशासन के सपने को साकार किया ।
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