संसार में युद्ध के विरुद्ध मैत्रीपूर्ण शान्ति का प्रयास करने वाले फ्रांस के फ्रैडरिक पासी ने जब 90 वर्ष की अवस्था में अपना शरीर छोड़ा तब उन्होंने जो शब्द कहे उनका अपना महत्व है । उन्होंने कहा ---"--------- मनुष्य मूल रूप से शांतिप्रिय है । वह युद्ध, संघर्ष तथा रक्तपात नहीं चाहता । संसार में कुछ थोड़े से स्वार्थी, अहंकारी अथवा कुसंस्कारी व्यक्ति ही इस विभीषिका को जन्म देते हैं, मुझे पूरी आशा है और इसी आधार पर मैं भविष्यवाणी करने का साहस कर रह हूँ कि जल्दी ही मनुष्य जाति शांति के पक्ष मे खड़ी होगी और आज की जलती हुई दुनिया कल का सुख-स्वर्ग बन जायेगी "
फ्रैडरिक पासी कवल मौखिक शान्ति प्रसारक ही नहीं थे, उन्होंने शांति के लिए जीवन में जो ठोस कार्य किये और जिन सभा, समितियों तथा संगठनों का निर्माण किया वे बहुमूल्य हैं । उनके इन कार्यों के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
श्री पासी का कहना था कि अतिवृष्टि, अनावृष्टि, आग, बाढ़ तथा महामारी आदि विपत्तियां तो प्राकृतिक प्रकोप होते हैं किन्तु युद्ध की यह विभीषिका मनुष्य निर्मित है । वह इसे स्वयं रचता है और अपना विनाश करता है । मनुष्य को उसकी इस मूर्खता से विरत कराना प्रत्येक सत्पुरुष का पावन कर्तव्य होना चाहिए । उन्होंने तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखकर शांति समिति स्थापित करने की अपील की, इसके परिणामस्वरूप फ्रेंच- शांति लीग की स्थापना हुई । इसके बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठन के लिए प्रयास किया और फ्रांसीसी शांति मित्र-मंडल की स्थपना कर डाली | उन्होंने इंग्लैंड के नेता विलियम क्रैमर को अपना समर्थक बनाकर अंतरसंसदीय संघ की स्थापना कराई जो एक लम्बे समय तक संसार में युद्ध रोकने और पंच फैसलों के आधार पर समस्याओं का हल करने में सफल होता रहा ।
वे कहते थे--- दूसरों को लूटने-खसोटने तथा दुःख देने में बुद्धि का प्रयोग करना मूर्खता है
फ्रैडरिक पासी कवल मौखिक शान्ति प्रसारक ही नहीं थे, उन्होंने शांति के लिए जीवन में जो ठोस कार्य किये और जिन सभा, समितियों तथा संगठनों का निर्माण किया वे बहुमूल्य हैं । उनके इन कार्यों के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
श्री पासी का कहना था कि अतिवृष्टि, अनावृष्टि, आग, बाढ़ तथा महामारी आदि विपत्तियां तो प्राकृतिक प्रकोप होते हैं किन्तु युद्ध की यह विभीषिका मनुष्य निर्मित है । वह इसे स्वयं रचता है और अपना विनाश करता है । मनुष्य को उसकी इस मूर्खता से विरत कराना प्रत्येक सत्पुरुष का पावन कर्तव्य होना चाहिए । उन्होंने तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखकर शांति समिति स्थापित करने की अपील की, इसके परिणामस्वरूप फ्रेंच- शांति लीग की स्थापना हुई । इसके बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठन के लिए प्रयास किया और फ्रांसीसी शांति मित्र-मंडल की स्थपना कर डाली | उन्होंने इंग्लैंड के नेता विलियम क्रैमर को अपना समर्थक बनाकर अंतरसंसदीय संघ की स्थापना कराई जो एक लम्बे समय तक संसार में युद्ध रोकने और पंच फैसलों के आधार पर समस्याओं का हल करने में सफल होता रहा ।
वे कहते थे--- दूसरों को लूटने-खसोटने तथा दुःख देने में बुद्धि का प्रयोग करना मूर्खता है
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