भक्ति वेदांत जी ने पश्चिम में भारतीय संस्कृति का वास्तविक रूप प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया | भौतिकता के पीछे दौड़ लगाने वालों को उन्होंने बताया कि जलती अग्नि में घी डालने से आग बुझती नहीं बढ़ती ही है । मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो नियमों को तोड़कर कष्ट भोगता है और दुःखी होता है जबकि सारा जगत एक क्रम मे, एक नियम मे, एक गति में चल रहा है, मनुष्य इसके विपरीत चलकर सुखी नहीं हो सकता उसे संयम करना ही पड़ेगा । '
वे सबसे अधिक बल संयमित जीवन व शुद्ध आहार पर देते हैं । उनकी मान्यता है कि संयम से ही सुख पाया जा सकता है और शुद्ध आहार से मनुष्य का मन निर्मल होता है | इसी कारण संघ की सदस्यता पाने वालों से वे शराब , मांस , धूम्रपान , जुआ आदि दुर्व्यसन छुड़वाते । इसका परिणाम हुआ कि हजारों व्यक्ति जो दिन -रात शराब , मांस , सिगरेट ------ आदि का सेवन करते थे, वे संयमित जीवन जीने लगे । अमेरिका से इस मिशन की विचारधारा व कार्यकलाप से लोगों को परिचित कराने के लिए ' बैक टू गॉड हेड ' नामक मासिक पत्रिका और उनके लिखे ग्रन्थ कई भाषाओँ मे प्रकाशित किये जाते । उन्होंने भारतीय संस्कृति के प्रसार के लिये ' कीर्तन ' को चुना और अमेरिका में 1966 में ' इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस ' कि स्थापना की । हजारों लोग इस मिशन के सदस्य हैं |
वे सबसे अधिक बल संयमित जीवन व शुद्ध आहार पर देते हैं । उनकी मान्यता है कि संयम से ही सुख पाया जा सकता है और शुद्ध आहार से मनुष्य का मन निर्मल होता है | इसी कारण संघ की सदस्यता पाने वालों से वे शराब , मांस , धूम्रपान , जुआ आदि दुर्व्यसन छुड़वाते । इसका परिणाम हुआ कि हजारों व्यक्ति जो दिन -रात शराब , मांस , सिगरेट ------ आदि का सेवन करते थे, वे संयमित जीवन जीने लगे । अमेरिका से इस मिशन की विचारधारा व कार्यकलाप से लोगों को परिचित कराने के लिए ' बैक टू गॉड हेड ' नामक मासिक पत्रिका और उनके लिखे ग्रन्थ कई भाषाओँ मे प्रकाशित किये जाते । उन्होंने भारतीय संस्कृति के प्रसार के लिये ' कीर्तन ' को चुना और अमेरिका में 1966 में ' इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस ' कि स्थापना की । हजारों लोग इस मिशन के सदस्य हैं |
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