जन्म से मृत्यु तक नये-नये आदर्शों के स्तम्भ गाड़ने वाले बर्नार्डशा ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलताएँ ही पाई । संघर्षों से घिस-घिसकर उनकी शक्तियां और प्रखर हुईं । बौद्धिक द्रष्टि से, विचार की द्रष्टि से, यश और आर्थिक सम्पन्नता की द्रष्टि से वह कभी भी दुःखी और अभावग्रस्त नहीं रहे और अंत में शाकाहार की उपयोगिता सिद्ध करते हुए उन्होंने यह दिखा दिया कि स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन की द्रष्टि से मांसाहार कभी उपयुक्त नहीं । 94 वर्ष की आयु में वे इस संसार से विदा हुए । बर्नार्डशा जन्म से आयरिश थे किन्तु भीतर से भारतीय जीवन की आत्मा थे ।
एक बार एक भोज मे उन्हें चुपचाप मांस खिला देने का षडयंत्र रचा गया तो बर्नार्डशा भोज से ही उठ कर चले आये । उन्होंने अपने आपको सुरा, सुन्दरी, सिगरेट और अभक्ष्य से बचाकर रखा ओर यह सिद्ध कर दिखाया कि यदि मनुष्य अपने सिद्धांतों के प्रति पूर्ण निष्ठावान है तो कैसी भी परिस्थिति हो वह स्वयं को शुद्ध और निष्कलुष बनाये रख सकता है ।
उन्होंने अपने निवास स्थान पर यह वाक्य लिख रखा था------ " लोग कहते हैं ? क्या कहते हैं ? कहने दो "
उनका मन्तव्य यही था कि दुनिया में कहने सुनने की तरफ अधिक ध्यान न दो, जनता का एक बहुत बड़ा भाग तो हवा के साथ बहने वाला होता है । इसलिये सबसे बड़ी बात है---- अपने सिद्धान्तों पर दृढ रहना और कर्तव्य का पालन करते जाना । ऐसे व्यक्ति को आज नहीं तो कल सफलता जरुर मिलेगी ।
उन्होंने यश से अपने आपको सदैव बचाया | लोकेषणा से बचकर ही वे अपने जीवन के एक-एक क्षण का सदुपयोग कर सके ।
एक बार एक भोज मे उन्हें चुपचाप मांस खिला देने का षडयंत्र रचा गया तो बर्नार्डशा भोज से ही उठ कर चले आये । उन्होंने अपने आपको सुरा, सुन्दरी, सिगरेट और अभक्ष्य से बचाकर रखा ओर यह सिद्ध कर दिखाया कि यदि मनुष्य अपने सिद्धांतों के प्रति पूर्ण निष्ठावान है तो कैसी भी परिस्थिति हो वह स्वयं को शुद्ध और निष्कलुष बनाये रख सकता है ।
उन्होंने अपने निवास स्थान पर यह वाक्य लिख रखा था------ " लोग कहते हैं ? क्या कहते हैं ? कहने दो "
उनका मन्तव्य यही था कि दुनिया में कहने सुनने की तरफ अधिक ध्यान न दो, जनता का एक बहुत बड़ा भाग तो हवा के साथ बहने वाला होता है । इसलिये सबसे बड़ी बात है---- अपने सिद्धान्तों पर दृढ रहना और कर्तव्य का पालन करते जाना । ऐसे व्यक्ति को आज नहीं तो कल सफलता जरुर मिलेगी ।
उन्होंने यश से अपने आपको सदैव बचाया | लोकेषणा से बचकर ही वे अपने जीवन के एक-एक क्षण का सदुपयोग कर सके ।
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