मानवता की सेवा करने के लिए किस प्रकार की तत्परता, तन्मयता, त्याग व तपस्या की आवश्यकता होती है ? यदि कोई यह जानना चाहे तो उन्नीसवीं शताब्दी के महान वैज्ञानिक लुई पास्टयूर के जीवन पर द्रष्टिपात कर ले ।
लुई पास्टयूर का जन्म 1822 में फ्रांस में हुआ था । उनके पिता का चमड़े का साधारण व्यवसाय था, उनकी हार्दिक इच्छा थी कि उनका पुत्र पढ़-लिख कर विद्वान बने, संसार में नाम करे किन्तु लुई प्रारम्भ में कक्षा में सबसे बुद्धू थे, उन्हें मंदबुद्धि समझकर शिक्षकों ने भी उन पर ध्यान देना छोड दिया, यह सब देख उनके पिता की आँखें भर आती थीं ।
लुई पास्टयूर को अध्यापकों की उपेक्षा तथा अपनी मंदबुद्धि पर बहुत दुःख हुआ उन्होंने आत्मावलोकन किया कि स्वयं मे क्या कमी है । उन्हें समझ में आ गया कि आत्मविश्वास की कमी के कारण शिक्षा में प्रगति नहीं कर रहे हैं ।
अब लुई ने अपनी निराशापूर्ण धारणाओं को दूर किया, अपने आत्म्विश्वास को जगाया, ऐसा करते ही उन्हें अपने अन्दर एक प्रखर शक्ति का आभास मिला जो पुकार-पुकार कर कह रही थी--------- " लुई ! संसार में ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जों लगनपूर्ण पुरुषार्थ के बल पर न किया जा सके | निरन्तर सच्चे मन से लगे रहने से मनुष्य रेत से तेल प्राप्त कर सकता है तब विद्दा प्राप्त करना कौन बड़ी बात है । मनुष्य को न तो कभी हिम्मत हारनी चाहिए और न निराश होकर प्रयत्नों से विमुख होना चाहिये । असफलता मनुष्य की अक्षमता की द्दयोतक नहीं बल्कि यह प्रयत्न में कमी की सम्बोधक होती है । पूरी लगन से काम में जुट जाओ, शीघ्र ही तुम्हे सफलता मिलेगी ।
आत्मा का उदबोधन पाते ही अब वे कुशाग्र बुद्धि छात्र थे | उन्होने अपनी योग्यता का उपयोग केवल स्वार्थ साधन के लिये नहीं किया बल्कि उसका उपयोग रोग पीड़ित मानवता की रक्षा करने के लिए किया ।
लुई पास्टयूर का मानवता की सेवा का सबसे महत्वपूर्ण अनुसंधान----- फोडों की चीर-फाड़ के बाद जख्मों में कीड़े पड़ जा ने के कारणों की खोज और उसके उपचार की विधि निकालना । इस महान देन से उस समय से आज तक असंख्य मनुष्य जख्मों के सड़ने और उससे मरने से बचते चले आ रहे हैं |
इसके बाद रेशम के कीड़े के रोग की रोकथाम व उनके बीमार होने पर उपचार की विधि की ख़ोज जिससे रेशम व्यवसाय कों बहुत लाभ हुआ |
उनके अंतिम दो अनुसन्धान जिनसे मानवता का बहुत हित हुआ------- पागल कुत्ते के काटे जाने से मनुष्य के इलाज का टीका तथा हैजा तथा प्लेग जैसे संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकों की खोज | इस प्रकार मानवता की सेवा और रक्षा के साधन प्रदान करने के लिए संसार उनका ऋणी रहेगा |
उनके अंतिम दो अनुसन्धान जिनसे मानवता का बहुत हित हुआ------- पागल कुत्ते के काटे जाने से मनुष्य के इलाज का टीका तथा हैजा तथा प्लेग जैसे संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकों की खोज | इस प्रकार मानवता की सेवा और रक्षा के साधन प्रदान करने के लिए संसार उनका ऋणी रहेगा |
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