' साहस और सद्गुणों को अपनाकर कोई भी व्यक्ति विध्न-बाधाओं कों कुचलते हुए कितना भाग्य-निर्माण कर सकता है, इसका एक जीवंत प्रमाण डॉ. बुंचे के जीवन को पढ़-समझकर ज्ञात किया जा सकता है । '
डॉ. बुंचे का जन्म 1904 में अक अत्यंत निर्धन परिवार में हुआ था, उनके पिता नाई का काम करते थे और पितामह गुलाम थे , जब बुंचे तेरह वर्ष के थे तब माता-पिता दोनों ही गुजर गये ।
गली-कूंचों मे अखबार बेचकर अपने भोजन पानी का प्रबंध किया शेष समय में विद्दा-अध्ययन जारी रखा । जातीय हीनता और काली चमड़ी के कारण पग-पग पर मिलने वाले उपहास और तिरस्कार की परवाह न करते हुए उन्होंने अध्ययन जारी रखा और वे ग्रेजुएट हो गए इसके बाद उन्होंने हारवार्ड विश्वविद्यालय से राजनीति में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर ली ।
इतनी ऊँची शिक्षा प्राप्त करने वाले संसार के प्रथम नीग्रो थे डॉ. बुंचे । अमेरिकी प्रशासन मे वे प्रथम नीग्रो थे जिन्होंने औपनिवेशिक मामलों में विशेषज्ञ का महत्वपूर्ण पद स्वीकार किया । 1949 मे उनको विदेश विभाग का सलाहकार नियुक्त किया गया । उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है--- अरब और इसराइल के बीच चलने वाले युद्ध में मध्यस्थ का कार्य कर लड़ाई शांत करना । 1950 में उन्हें शांति प्रयत्नों के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया |
बुंचे का जीवन आदर्श, सज्जनता, श्रमशीलता और आशा के रुप में असंख्य पिछड़े और अविकसित लोगों के लिए प्रेरणादायक है ।
डॉ. बुंचे का जन्म 1904 में अक अत्यंत निर्धन परिवार में हुआ था, उनके पिता नाई का काम करते थे और पितामह गुलाम थे , जब बुंचे तेरह वर्ष के थे तब माता-पिता दोनों ही गुजर गये ।
गली-कूंचों मे अखबार बेचकर अपने भोजन पानी का प्रबंध किया शेष समय में विद्दा-अध्ययन जारी रखा । जातीय हीनता और काली चमड़ी के कारण पग-पग पर मिलने वाले उपहास और तिरस्कार की परवाह न करते हुए उन्होंने अध्ययन जारी रखा और वे ग्रेजुएट हो गए इसके बाद उन्होंने हारवार्ड विश्वविद्यालय से राजनीति में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर ली ।
इतनी ऊँची शिक्षा प्राप्त करने वाले संसार के प्रथम नीग्रो थे डॉ. बुंचे । अमेरिकी प्रशासन मे वे प्रथम नीग्रो थे जिन्होंने औपनिवेशिक मामलों में विशेषज्ञ का महत्वपूर्ण पद स्वीकार किया । 1949 मे उनको विदेश विभाग का सलाहकार नियुक्त किया गया । उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है--- अरब और इसराइल के बीच चलने वाले युद्ध में मध्यस्थ का कार्य कर लड़ाई शांत करना । 1950 में उन्हें शांति प्रयत्नों के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया |
बुंचे का जीवन आदर्श, सज्जनता, श्रमशीलता और आशा के रुप में असंख्य पिछड़े और अविकसित लोगों के लिए प्रेरणादायक है ।
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