आज से 100 वर्ष पूर्व महात्मा बहा ने संसार को विश्व बंधुत्व, विश्व शान्ति और विश्व एकता का सन्देश दिया था । उनके सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए श्री अबदुल बहा ने कहा था---- " धर्म का काम तो यह है कि वह ह्रदयों को मिलाये और लड़ाई-झगड़ों को संसार से दूर करे । यदि धर्म ही बैर, घृणा और भेदभाव का कारण बनता है तो अच्छा है धर्म न हो और ऐसे धर्म से परे रहना ही सच्चा धर्म है । जो धर्म प्रेम और एकता का उत्पादक नहीं वह धर्म ही नहीं है । "
उन्होंने सदा मनुष्यों की एकता पर बल दिया और धर्म के नाम पर उन्ही बातों की नसीहत दी जिससे किसी का परोपकार हो सके । श्री अब्दुल बहा ने महात्मा बहा की भविष्यवाणी की व्याख्या करते हुए स्पष्ट शब्दों में बताया -----
" इस अद्भुत युग में संसार सारा बदल जायेगा और मानव जाति शान्ति और सौन्दर्य से विभूषित होगी । विरोध, झगड़ों और हत्याओं के स्थान पर मेल-मिलाप और प्रेम-सच्चाई की स्थापना होगी । सब लोगों और सब समाज व सब देशों में स्नेह और एकता का उदय होगा, युद्धों का सर्वथा अंत हो जायेगा । सभी जातियां परस्पर प्रेम, मैत्री, न्याय और धर्मयुक्त व्यवहार करेंगी । "
उन्होंने सदा मनुष्यों की एकता पर बल दिया और धर्म के नाम पर उन्ही बातों की नसीहत दी जिससे किसी का परोपकार हो सके । श्री अब्दुल बहा ने महात्मा बहा की भविष्यवाणी की व्याख्या करते हुए स्पष्ट शब्दों में बताया -----
" इस अद्भुत युग में संसार सारा बदल जायेगा और मानव जाति शान्ति और सौन्दर्य से विभूषित होगी । विरोध, झगड़ों और हत्याओं के स्थान पर मेल-मिलाप और प्रेम-सच्चाई की स्थापना होगी । सब लोगों और सब समाज व सब देशों में स्नेह और एकता का उदय होगा, युद्धों का सर्वथा अंत हो जायेगा । सभी जातियां परस्पर प्रेम, मैत्री, न्याय और धर्मयुक्त व्यवहार करेंगी । "
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