पेरू के अधिकांश आदिवासी कबीले भारतीय वंशज हैं वे लोग वाइडर कों प्यार से यातून पापा (सबका पिता ) कहकर पुकारते हैं ।
एक 11 वर्षीय बच्चा स्विट्जरलैंड की एक आम सभा में डॉ. श्वाइत्जर का भाषण सुन रहा था | विषय था---- मानव जाति की सेवा । डॉ. श्वाइत्जर उन दिनों अफ्रीका के घने जंगलों में आदिवासी हब्शियों की चिकित्सा सेवा करते थे । भाषण में वे उन कठिनाइयों का भी उल्लेख कर रहे थे और सेवा से प्रसुप्त मन को मिलने वाली शांति और आत्म सुख की प्रशंसा भी करते जाते थे |
भाषण समाप्त हुआ | सब लोग अपने-अपने घर चले गये किन्तु वह बच्चा अब भी चुपचाप बैठ था । डॉ. श्वाइत्जर मंच से उतरकर उसके पास गये और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले -- बच्चे ! जब सब लोग चले गये तो तुम यहाँ अभी तक किस लिए बैठे हो ?
बच्चे ने उनसे कहा-- मैं भी गरीबों और पिछड़े हुए की सेवा करना चाहता हूँ , क्या आप मुझे अपने साथ ले चलेंगे ? डॉ. श्वाइत्जर ने कहा--- तुम डाक्टरी पढ़ो, पढ़ लिख लोगे तो तुम्हे सेवा के लिए स्वयं राह मिल जायेगी । यही बालक पढ़ लिखकर डॉ. थियोडोर वाइडर के नाम से विख्यात हुआ ।
उन्होने अपनी पत्नी के सहयोग व समर्थन से अमेजन के जंगल में 25एकड़ जमीन खरीदकर अस्पताल के लिए भवन निर्माण कराया | 14 जनवरी 1960 को डॉ. श्वाइत्जर के हाथों इस अस्पताल का उद्घाटन हुआ | श्रीमती वाइडर ने भी नर्स आदि कि व्यवस्था हेतु अथक परिश्रम किया ।
चिकित्सा की व्यवस्था हों जाने पर पिछड़ी हुई जनता को नया जीवन मिला । पेरू के कोने-कोने से मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुँचने लगे । चिकित्सा के साथ उन्होंने वहां के लोगों को कृषि व पशुपालन भी सिखाया, उनमे परस्पर मेलभाव पैदा किया ।
उनके प्रयासों से पेरू के आदिवासी सभ्य और सुसंस्कृत जीवन की ओर अग्रसर हुये हैं ।
३६
एक 11 वर्षीय बच्चा स्विट्जरलैंड की एक आम सभा में डॉ. श्वाइत्जर का भाषण सुन रहा था | विषय था---- मानव जाति की सेवा । डॉ. श्वाइत्जर उन दिनों अफ्रीका के घने जंगलों में आदिवासी हब्शियों की चिकित्सा सेवा करते थे । भाषण में वे उन कठिनाइयों का भी उल्लेख कर रहे थे और सेवा से प्रसुप्त मन को मिलने वाली शांति और आत्म सुख की प्रशंसा भी करते जाते थे |
भाषण समाप्त हुआ | सब लोग अपने-अपने घर चले गये किन्तु वह बच्चा अब भी चुपचाप बैठ था । डॉ. श्वाइत्जर मंच से उतरकर उसके पास गये और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले -- बच्चे ! जब सब लोग चले गये तो तुम यहाँ अभी तक किस लिए बैठे हो ?
बच्चे ने उनसे कहा-- मैं भी गरीबों और पिछड़े हुए की सेवा करना चाहता हूँ , क्या आप मुझे अपने साथ ले चलेंगे ? डॉ. श्वाइत्जर ने कहा--- तुम डाक्टरी पढ़ो, पढ़ लिख लोगे तो तुम्हे सेवा के लिए स्वयं राह मिल जायेगी । यही बालक पढ़ लिखकर डॉ. थियोडोर वाइडर के नाम से विख्यात हुआ ।
उन्होने अपनी पत्नी के सहयोग व समर्थन से अमेजन के जंगल में 25एकड़ जमीन खरीदकर अस्पताल के लिए भवन निर्माण कराया | 14 जनवरी 1960 को डॉ. श्वाइत्जर के हाथों इस अस्पताल का उद्घाटन हुआ | श्रीमती वाइडर ने भी नर्स आदि कि व्यवस्था हेतु अथक परिश्रम किया ।
चिकित्सा की व्यवस्था हों जाने पर पिछड़ी हुई जनता को नया जीवन मिला । पेरू के कोने-कोने से मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुँचने लगे । चिकित्सा के साथ उन्होंने वहां के लोगों को कृषि व पशुपालन भी सिखाया, उनमे परस्पर मेलभाव पैदा किया ।
उनके प्रयासों से पेरू के आदिवासी सभ्य और सुसंस्कृत जीवन की ओर अग्रसर हुये हैं ।
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