अब से लगभग 100 वर्ष पूर्व जब कभी चीन देश की चर्चा चलती तो लोग यह कहकर चर्चा तुरंत रोक देते कि वह तो अफीमचियों ओर आलसियों का देश है | एक बार चीन में भयंकर अकाल पड़ा । लोग भूख के मारे मरने लगे । विश्व के उदार और धनी देशों ने चीनी जनता को भूख की मौत से बचाने के लिए अनाज से भरा हुआ एक जहाज भेजने का निश्चय किया ।
जहाज जब रवाना हुआ और इसकी खबर चीनी जनता को मिली तो यहां के लोगों ने निश्चय किया कि हम मर जायेंगे, पर विदेशी सहायता स्वीकार नहीं करेंगे । सहायता भेजने वाले राष्ट्रों ने चीनी जनता की यह स्वाभिमान भरी घोषणा सुनी तो हतप्रभ रह गये ।
एक समय के अफीमची, नशेबाज, काहिल और सुस्त कही जाने वाली जनता में ऐसा मनोबल कहां से जाग्रत हो गया ? इसका श्रेय दिया जाता है----- आधुनिक चीन के निर्माता---- माओ-त्से-तुंग को
उन्होंने अपना सारा जीवन विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश चीन का नवीन कायाकल्प करने में लगा दिया l
जून 1949 में माओ ने सत्ता ग्रहण की, उन्होंने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का एक कार्यक्रम बनाया, जिसके मुख्य आधार इस प्रकार थे------- विदेशी सहायता को कम कर राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा, गरीब को समान वितरण द्वारा खुशहाली की ओर बढ़ाना और सहज टेक्नोलोजी का विकास, विदेशी सहायता को नकार देना सुद्रढ़ राष्ट्रनीति का परिचायक है ,
माओ जब तक जीवित रहे चीन को विकसित और शक्तिशाली बनाने का प्रयत्न करते रहे, उनके मार्गदर्शन और चीनी जनता की कर्मठता का ही सत्परिणाम है कि चीन आज दुनिया की छठवीं महाशक्ति बना हुआ है l
जहाज जब रवाना हुआ और इसकी खबर चीनी जनता को मिली तो यहां के लोगों ने निश्चय किया कि हम मर जायेंगे, पर विदेशी सहायता स्वीकार नहीं करेंगे । सहायता भेजने वाले राष्ट्रों ने चीनी जनता की यह स्वाभिमान भरी घोषणा सुनी तो हतप्रभ रह गये ।
एक समय के अफीमची, नशेबाज, काहिल और सुस्त कही जाने वाली जनता में ऐसा मनोबल कहां से जाग्रत हो गया ? इसका श्रेय दिया जाता है----- आधुनिक चीन के निर्माता---- माओ-त्से-तुंग को
उन्होंने अपना सारा जीवन विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश चीन का नवीन कायाकल्प करने में लगा दिया l
जून 1949 में माओ ने सत्ता ग्रहण की, उन्होंने राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का एक कार्यक्रम बनाया, जिसके मुख्य आधार इस प्रकार थे------- विदेशी सहायता को कम कर राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा, गरीब को समान वितरण द्वारा खुशहाली की ओर बढ़ाना और सहज टेक्नोलोजी का विकास, विदेशी सहायता को नकार देना सुद्रढ़ राष्ट्रनीति का परिचायक है ,
माओ जब तक जीवित रहे चीन को विकसित और शक्तिशाली बनाने का प्रयत्न करते रहे, उनके मार्गदर्शन और चीनी जनता की कर्मठता का ही सत्परिणाम है कि चीन आज दुनिया की छठवीं महाशक्ति बना हुआ है l
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