' ब्रेझनेव ने अपने माध्यम से एक सच्चे राष्ट्रभक्त और जन नेता का आदर्श प्रस्तुत किया वह सभी नेता कहलाये जाने वालों के लिए अनुकरणीय है । जब भी अवसर आया हो ब्रेझनेव ने स्वयं को उसके अनुरुप ढाला और उस क्षेत्र में आगे कदम बढ़ाया, देशवासियों को विकास के पथ पर अग्रसर किया | '
जब जर्मनी की नाजी सेनाओं ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया तो इस संकटपूर्ण घड़ी में कम्युनिस्ट पार्टी की प्रादेशिक समिति के सचिव ब्रेझनेव भी कंधे पर बंदूक रखकर सुरक्षा अभियान में आगे आये और उस युद्ध में आदि से अंत तक लड़े , पूरे युद्ध काल में वे सक्रिय रुप से डटे रहे । उन्होंने अनेक सैनिक अभियानों का नेतृत्व किया और अपने अधीनस्थ सैनिकों को वात्सल्यपूर्ण व्यवहार से देश के लिए मर मिटने हेतु तैयार करने में प्रत्येक बार सफल रहे ।
साम्यवादी क्रांति के बाद जब रुस की जनता राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के कार्य में लगी थी और सारे देश में औद्दोगिक प्रतिष्ठान स्थापित किये जा रहे थे और उनके लिए तकनीकी विशेषज्ञ की आवश्यकता थी, तब उच्च सोवियत के समर्थक और आधार होने के नाते उन्होंने इस आवश्यकता को समझा और स्वयं एक धातु कर्म संस्थान में भर्ती हुए । पूरी तन्मयता और मनोयोग के साथ उन्होने इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम पूरा किया ।
पार्टी में कई उच्च पदों पर कार्य करते हुए, सम्मान और प्रतिष्ठा से भरा-पूरा जीवन व्यतीत करने के बाद भी उन्होंने इस्पात मिल में इंजीनियर का कार्य किया, कोई संकोच नहीं किया ।
छठे दशक में विशाल क्षेत्रफल वाले दुनिया के सबसे बड़े राज्य की बंजर पड़ी धरती पर खेती का कार्यक्रम हाथ में लिया । कजाखिस्तान-- जिसकी लाखों एकड़ जमीन यों ही पड़ी हुई थी के एक कार्याधिकारी बनकर ब्रेझनेव को कृषि उत्पादन का मोर्चा सम्हालना पड़ा । यहां भी उन्होंने केवल निर्देश देने और मार्गदर्शन भर करने में अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं मानी, वे अपने साथियों के साथ उजाड़ पड़ी इस जमीन पर फसल उगाने के लिए मेहनत करते रहे । उनसे प्रेरणा व प्रोत्साहन पाकर लाखों नवयुवकों ने कजाखिस्तान की धरती पर पसीना बहाया, अंततः पसीने के फूल खिले जिसकी सुरभि विदेशों में भी फैली | आज कजाखिस्तान अनाज उत्पादन का बहुत बड़ा केंद्र है |
बाद के वर्षों में ब्रेझनेव पार्टी के शीर्षस्थ पदों पर कार्य करते रहे । प्रतिरक्षा क्षमता के विकास संबंधी कार्यों, वैज्ञानिक प्रगति तथा औद्दोगिक उन्नति में उन्होंने जो योगदान दिया वह ऐतिहासिक बन गया ।
जब जर्मनी की नाजी सेनाओं ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया तो इस संकटपूर्ण घड़ी में कम्युनिस्ट पार्टी की प्रादेशिक समिति के सचिव ब्रेझनेव भी कंधे पर बंदूक रखकर सुरक्षा अभियान में आगे आये और उस युद्ध में आदि से अंत तक लड़े , पूरे युद्ध काल में वे सक्रिय रुप से डटे रहे । उन्होंने अनेक सैनिक अभियानों का नेतृत्व किया और अपने अधीनस्थ सैनिकों को वात्सल्यपूर्ण व्यवहार से देश के लिए मर मिटने हेतु तैयार करने में प्रत्येक बार सफल रहे ।
साम्यवादी क्रांति के बाद जब रुस की जनता राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के कार्य में लगी थी और सारे देश में औद्दोगिक प्रतिष्ठान स्थापित किये जा रहे थे और उनके लिए तकनीकी विशेषज्ञ की आवश्यकता थी, तब उच्च सोवियत के समर्थक और आधार होने के नाते उन्होंने इस आवश्यकता को समझा और स्वयं एक धातु कर्म संस्थान में भर्ती हुए । पूरी तन्मयता और मनोयोग के साथ उन्होने इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम पूरा किया ।
पार्टी में कई उच्च पदों पर कार्य करते हुए, सम्मान और प्रतिष्ठा से भरा-पूरा जीवन व्यतीत करने के बाद भी उन्होंने इस्पात मिल में इंजीनियर का कार्य किया, कोई संकोच नहीं किया ।
छठे दशक में विशाल क्षेत्रफल वाले दुनिया के सबसे बड़े राज्य की बंजर पड़ी धरती पर खेती का कार्यक्रम हाथ में लिया । कजाखिस्तान-- जिसकी लाखों एकड़ जमीन यों ही पड़ी हुई थी के एक कार्याधिकारी बनकर ब्रेझनेव को कृषि उत्पादन का मोर्चा सम्हालना पड़ा । यहां भी उन्होंने केवल निर्देश देने और मार्गदर्शन भर करने में अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं मानी, वे अपने साथियों के साथ उजाड़ पड़ी इस जमीन पर फसल उगाने के लिए मेहनत करते रहे । उनसे प्रेरणा व प्रोत्साहन पाकर लाखों नवयुवकों ने कजाखिस्तान की धरती पर पसीना बहाया, अंततः पसीने के फूल खिले जिसकी सुरभि विदेशों में भी फैली | आज कजाखिस्तान अनाज उत्पादन का बहुत बड़ा केंद्र है |
बाद के वर्षों में ब्रेझनेव पार्टी के शीर्षस्थ पदों पर कार्य करते रहे । प्रतिरक्षा क्षमता के विकास संबंधी कार्यों, वैज्ञानिक प्रगति तथा औद्दोगिक उन्नति में उन्होंने जो योगदान दिया वह ऐतिहासिक बन गया ।
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