बहुत लोग यह मानते हैं कि चन्दन लगाने से, माला फेरने से, राम का नाम लेने से, झांझ-मंजीरा लेकर कीर्तन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं । ये सब चीजें अच्छी हो सकती हैं, लेकिन भगवान खुश होते हैं---- ईमानदारी से, सच्चाई से, दया, प्रेम और सेवा से । ये गुण हैं तो दूसरी चीजें भी अच्छी हो सकती हैं, ये नहीं तो कुछ नहीं ।
आस्तिकता का अर्थ इतना नहीं है कि प्रात: काल उठकर कुछ भजन कर लिया या मंदिर जाकर भगवान की मूर्ति का दर्शन कर लिया |
आवश्यकता तो यह है कि दिनभर अपने समस्त कार्यों को भगवान का आदेश मानकर पूरी ईमानदारी और सच्चाई से करें ।
आस्तिकता का अर्थ इतना नहीं है कि प्रात: काल उठकर कुछ भजन कर लिया या मंदिर जाकर भगवान की मूर्ति का दर्शन कर लिया |
आवश्यकता तो यह है कि दिनभर अपने समस्त कार्यों को भगवान का आदेश मानकर पूरी ईमानदारी और सच्चाई से करें ।
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