' सरमद ' सुफी सनत थे | औरंगजेब का भाई दारा उनकी विद्वता और भक्ति से बहुत अधिक प्रभावित था । औरंगजेब ने जब दारा को कत्ल करा दिया तो उसे यह भय बराबर बना रहा कि दारा का मित्र और जनता में अत्यन्त लोकप्रिय सरमद कहीं उस्के लिए कोई संकट न खड़ा कर दें ।
एक दिन औरंगजेब सरमद के पास से गुजरे, देखा कि वे नंग-धडंग पड़े हैं । औरंगजेब ने कड़ककर कहा ---' - नंगा क्यों पड़ा है, पास में पड़े कम्बल से बदन क्यों नहीं ढक लेता । '
सरमद ने कहा ---- ' इतनी कृपा आप ही कर दें, मुझसे तो बन नहीं पड़ता । ' औरंगजेब ने कम्बल उठाया तो उसके नीचे उन सबके सिर थे जिन्हें उसने कत्ल कराया था । औरंगजेब के बूते कंबल न उठा । तो सरमद ने कहा --- तू ही बता ------ तेरे पापों को ढकना ज्यादा जरुरी है या अपने बदन को ढकना ।
औरंगजेब के इशारे पर मुल्लाओं ने सरमद पर इल्जाम लगाया कि वह अधूरा कलमा पड़ता है, अदालत में पेश किया गया तो वहां भी उसने अधूरा ही सुनाया ' ला इला इललिलाह ' जिसका
अर्थ होता है--- सभी दोषी हैं | शेष अंश जो रह गया था वह था ' मुहम्मद रसूलिल्लाह ' ।
सरमद का कहना था कि मैंने अभी तक उस देवदूत के दर्शन नहीं किये, जिन्हें देखता हूँ दोषी पाता हूँ । मुल्लाओं की अदालत में सरमद को दोषी पाया गया और उनका सिर उतार लेने का हुक्म
हुआ । सरमद का सिर काट लिया गया ।
जब सिर कटा तो उसमे से तीन बार आवाज निकली ---- ' ला इला इललिलाह '
सरमद के सच्चे विश्वास की गवाही को देख सभी दंग रह गये । जिस दिन सरमद का सिर कटा उस दिन पूरी दिल्ली में शोक मनाया गया । न किसी के घर में चिराग जला न चूल्हा ।
औरंगजेब के मन पर भी इस गुनाह का बोझ जिंदगी भर लदा रहा, मरते समय भी यह गुनाह उसे अखरता रहा ।
एक दिन औरंगजेब सरमद के पास से गुजरे, देखा कि वे नंग-धडंग पड़े हैं । औरंगजेब ने कड़ककर कहा ---' - नंगा क्यों पड़ा है, पास में पड़े कम्बल से बदन क्यों नहीं ढक लेता । '
सरमद ने कहा ---- ' इतनी कृपा आप ही कर दें, मुझसे तो बन नहीं पड़ता । ' औरंगजेब ने कम्बल उठाया तो उसके नीचे उन सबके सिर थे जिन्हें उसने कत्ल कराया था । औरंगजेब के बूते कंबल न उठा । तो सरमद ने कहा --- तू ही बता ------ तेरे पापों को ढकना ज्यादा जरुरी है या अपने बदन को ढकना ।
औरंगजेब के इशारे पर मुल्लाओं ने सरमद पर इल्जाम लगाया कि वह अधूरा कलमा पड़ता है, अदालत में पेश किया गया तो वहां भी उसने अधूरा ही सुनाया ' ला इला इललिलाह ' जिसका
अर्थ होता है--- सभी दोषी हैं | शेष अंश जो रह गया था वह था ' मुहम्मद रसूलिल्लाह ' ।
सरमद का कहना था कि मैंने अभी तक उस देवदूत के दर्शन नहीं किये, जिन्हें देखता हूँ दोषी पाता हूँ । मुल्लाओं की अदालत में सरमद को दोषी पाया गया और उनका सिर उतार लेने का हुक्म
हुआ । सरमद का सिर काट लिया गया ।
जब सिर कटा तो उसमे से तीन बार आवाज निकली ---- ' ला इला इललिलाह '
सरमद के सच्चे विश्वास की गवाही को देख सभी दंग रह गये । जिस दिन सरमद का सिर कटा उस दिन पूरी दिल्ली में शोक मनाया गया । न किसी के घर में चिराग जला न चूल्हा ।
औरंगजेब के मन पर भी इस गुनाह का बोझ जिंदगी भर लदा रहा, मरते समय भी यह गुनाह उसे अखरता रहा ।
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