श्री बर्नार्डशा जन्म से आयरिश थे किन्तु भीतर से भारतीय जीवन की आत्मा थे । वे आरम्भ से ही पक्के शाकाहारी थे , उन्होंने शराब , सिगरेट और माँस का कभी उपयोग नहीं किया । अपने सिद्धांतों के प्रति वे पूर्ण निष्ठावान थे ।
उन्होंने एक नाटक लिखा ' मिसेज वारेन्स प्रोफेशन ' । इसमें दिखलाया गया कि जो लोग समाज में ऊपर से ' सज्जन ' और ' सभ्य ' बने रहते हैं, उनमे से कितनो का ही भीतरी जीवन कैसा पतित होता है । इसकी मुख्य शिक्षा यही थी कि ------ दुरंगा व्यक्तित्व रखना नीचता का लक्षण है ।
वे आजीवन अन्याय के विरोध में अपनी आवाज उठाते राहे ।
उन्होंने एक नाटक लिखा ' मिसेज वारेन्स प्रोफेशन ' । इसमें दिखलाया गया कि जो लोग समाज में ऊपर से ' सज्जन ' और ' सभ्य ' बने रहते हैं, उनमे से कितनो का ही भीतरी जीवन कैसा पतित होता है । इसकी मुख्य शिक्षा यही थी कि ------ दुरंगा व्यक्तित्व रखना नीचता का लक्षण है ।
वे आजीवन अन्याय के विरोध में अपनी आवाज उठाते राहे ।
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