आलस्य के लिए किसी वैद्दय या डाक्टर से चिकित्सा नहीं करानी पड़ती, किन्तु फिर भी यह एक ऐसा रोग है जिसकी तुलना क्षय रोग के साथ की जा सके । क्षयग्रस्त व्यक्ति क्रमशः अपनी जीवनी शक्ति को खोता और खोखला बनाता जाता है यही हाल आलसी का भी होता है ।
आजकल तथाकथित शिक्षित कहे जाने वाले वर्ग में परिश्रम के प्रति अवहेलना की वृति बढ़ती जा रही है । ऐसे लोग श्रम करने से जी चुराते हैं | श्रम न करने और निठल्ले बैठे रहने से स्वास्थ्य भी लड़खड़ाने लगता है । मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सद्गुण है ----- श्रमशीलता । श्रम करते रहने से शरीर और मन के कलपुर्जे गतिशील रहते हैं । श्रमशील मनुष्यों का चेहरा भी चमकता रहता है ।
संसार में अनेकों ऐसे व्यक्तियों के प्रमाण मौजूद हैं, जिन्होंने साधन सुविधाओं से हीन परिस्थिति में जन्म लेकर परिश्रम के बल पर उन्नति के शिखर पर पहुँच कर दिखा दिया ।
अर्मीनिया के सर्वोच्च सेनापति सीरोजग्रिथ का व्यक्तित्व उनकी माता ने बनाया । उनकी विधवा माँ कपड़े सीकर किसी तरह अपने बच्चों का पेट पालती थी । बड़े बेटे ग्रिथ ने अपनी मर्जी से गरीबी के कारण स्कूल में फीस माफ कराने की अर्जी दे दी । जो परिस्थिति से पूर्णत: जानकार अध्यापक की सिफारिश पर मंजूर भी हो गई ।
ग्रिथ की माता को जब यह पता चला तो उन्होंने उस सुविधा को अस्वीकार कर दिया । उनने लिखा --- हम लोग मेहनत करके गुजारा करते हैं तो फीस क्यों नहीं दे सकेंगे ! गरीबों में अपनी गणना कराना हमें मंजूर नहीं, हमारा स्वाभिमान कहता है कि हम गरीब नहीं, स्वावलंबन से इन परिस्थितियों से भी जूझ लेंगे ।
आजकल तथाकथित शिक्षित कहे जाने वाले वर्ग में परिश्रम के प्रति अवहेलना की वृति बढ़ती जा रही है । ऐसे लोग श्रम करने से जी चुराते हैं | श्रम न करने और निठल्ले बैठे रहने से स्वास्थ्य भी लड़खड़ाने लगता है । मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सद्गुण है ----- श्रमशीलता । श्रम करते रहने से शरीर और मन के कलपुर्जे गतिशील रहते हैं । श्रमशील मनुष्यों का चेहरा भी चमकता रहता है ।
संसार में अनेकों ऐसे व्यक्तियों के प्रमाण मौजूद हैं, जिन्होंने साधन सुविधाओं से हीन परिस्थिति में जन्म लेकर परिश्रम के बल पर उन्नति के शिखर पर पहुँच कर दिखा दिया ।
अर्मीनिया के सर्वोच्च सेनापति सीरोजग्रिथ का व्यक्तित्व उनकी माता ने बनाया । उनकी विधवा माँ कपड़े सीकर किसी तरह अपने बच्चों का पेट पालती थी । बड़े बेटे ग्रिथ ने अपनी मर्जी से गरीबी के कारण स्कूल में फीस माफ कराने की अर्जी दे दी । जो परिस्थिति से पूर्णत: जानकार अध्यापक की सिफारिश पर मंजूर भी हो गई ।
ग्रिथ की माता को जब यह पता चला तो उन्होंने उस सुविधा को अस्वीकार कर दिया । उनने लिखा --- हम लोग मेहनत करके गुजारा करते हैं तो फीस क्यों नहीं दे सकेंगे ! गरीबों में अपनी गणना कराना हमें मंजूर नहीं, हमारा स्वाभिमान कहता है कि हम गरीब नहीं, स्वावलंबन से इन परिस्थितियों से भी जूझ लेंगे ।
No comments:
Post a Comment