' वे मानते थे कि हमें कल की फिक्र नहीं करनी चाहिए । कल आता ही नहीं है और जब आएगा तो उसे आज बनकर ही आना होगा । '
राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित हीरालाल शास्त्री की महत्ता केवल नेता के रूप में नहीं , अपितु अखिल भारतीय महत्त्व की महिला शिक्षण संस्था वनस्थली विद्दापीठ के रूप में विशेष उल्लेखनीय है l मुख्यमंत्री बनने के कुछ समय बाद ही उन्होंने यह पद छोड़ दिया और एक बहुत ही छोटे व पिछड़े गाँव वनस्थली में उन्होंने ग्रामोत्थान का का अपना कार्यक्रम ' जीवन कुटीर ' की स्थापना से आरम्भ किया । उन्होंने अपनी जीवनी में लिखा है --- " मेरी सत्ता से कभी जान -पहचान नहीं हुई , कुछ न कुछ कर गुजरने की इच्छा ही मेरे लिए सत्ता है । "
उनका मानना था कि --- "आज देश में चरित्र और नेत्रत्व का संकट है । ऐसे समय में बुराई को तटस्थ होकर देखते रहना उसमे शामिल होने के बराबर है । "
राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित हीरालाल शास्त्री की महत्ता केवल नेता के रूप में नहीं , अपितु अखिल भारतीय महत्त्व की महिला शिक्षण संस्था वनस्थली विद्दापीठ के रूप में विशेष उल्लेखनीय है l मुख्यमंत्री बनने के कुछ समय बाद ही उन्होंने यह पद छोड़ दिया और एक बहुत ही छोटे व पिछड़े गाँव वनस्थली में उन्होंने ग्रामोत्थान का का अपना कार्यक्रम ' जीवन कुटीर ' की स्थापना से आरम्भ किया । उन्होंने अपनी जीवनी में लिखा है --- " मेरी सत्ता से कभी जान -पहचान नहीं हुई , कुछ न कुछ कर गुजरने की इच्छा ही मेरे लिए सत्ता है । "
उनका मानना था कि --- "आज देश में चरित्र और नेत्रत्व का संकट है । ऐसे समय में बुराई को तटस्थ होकर देखते रहना उसमे शामिल होने के बराबर है । "
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