' शिवा को सराहौं के सराहौं छत्रसाल को । '
इतिहासकारों द्वारा वीर छत्रसाल बुन्देलखण्ड के शिवाजी कहे जाते थे ।
वीर छत्रसाल तब किशोर थे और बगीचे में देवी पूजा के लिए फूल चुन रहे थे । एक घुड़सवार ने बगीचे के पास रूककर पूछा ----- " तुम लोग जिस देवी की पूजा करते हो उस देवी का मंदिर कहाँ है ? "
किशोर छत्रसाल ने कहा --- " क्या आप भी माँ की पूजा करने आये हो , जरा ठहरो , में फूल चुन लूँ फिर हम साथ - साथ चलते हैं । "
घुड़सवार ने अहंकार पूर्वक कहा ---- " हमारे पास समय नहीं है और हमें पूजा से कोई भी मतलब नहीं है । हम तो सल्तनत के आदमी हैं , हमें वह मंदिर तोड़ना है । "
वीर छत्रसाल की भवें तन गईं, उन्होंने घुड़सवार से कहा ---- " जरा तमीज से बात करो सरदार । देवी माँ के लिए ऐसी बात मुँह से निकाली तो जबान खींच लूँगा । "
घुड़सवार को युवक से ऐसे उत्तर की आशा नहीं थी , उनका ऐसा उत्तर उस अहंकारी को सहन नहीं हो रहा था । वह घोड़े से उतर कर उन्हें मारने के उद्देश्य से उनके पास आ ही रहस था कि वीर छत्रसाल ने अपनी कमर से तलवार निकाल ली और उस सरदार की छाती में घोंप दी , वह सरदार वहीँ ढेर हो गया । तब तक उनके और साथी आ गये , उन्होंने युद्ध कर शत्रु पर काबू पा लिया l किशोर वय में ही अपनी संस्कृति के प्रति इतना भक्तिभाव रखने वाले थे --- वीर छत्रसाल ।
इतिहासकारों द्वारा वीर छत्रसाल बुन्देलखण्ड के शिवाजी कहे जाते थे ।
वीर छत्रसाल तब किशोर थे और बगीचे में देवी पूजा के लिए फूल चुन रहे थे । एक घुड़सवार ने बगीचे के पास रूककर पूछा ----- " तुम लोग जिस देवी की पूजा करते हो उस देवी का मंदिर कहाँ है ? "
किशोर छत्रसाल ने कहा --- " क्या आप भी माँ की पूजा करने आये हो , जरा ठहरो , में फूल चुन लूँ फिर हम साथ - साथ चलते हैं । "
घुड़सवार ने अहंकार पूर्वक कहा ---- " हमारे पास समय नहीं है और हमें पूजा से कोई भी मतलब नहीं है । हम तो सल्तनत के आदमी हैं , हमें वह मंदिर तोड़ना है । "
वीर छत्रसाल की भवें तन गईं, उन्होंने घुड़सवार से कहा ---- " जरा तमीज से बात करो सरदार । देवी माँ के लिए ऐसी बात मुँह से निकाली तो जबान खींच लूँगा । "
घुड़सवार को युवक से ऐसे उत्तर की आशा नहीं थी , उनका ऐसा उत्तर उस अहंकारी को सहन नहीं हो रहा था । वह घोड़े से उतर कर उन्हें मारने के उद्देश्य से उनके पास आ ही रहस था कि वीर छत्रसाल ने अपनी कमर से तलवार निकाल ली और उस सरदार की छाती में घोंप दी , वह सरदार वहीँ ढेर हो गया । तब तक उनके और साथी आ गये , उन्होंने युद्ध कर शत्रु पर काबू पा लिया l किशोर वय में ही अपनी संस्कृति के प्रति इतना भक्तिभाव रखने वाले थे --- वीर छत्रसाल ।
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