' सम्पूर्ण देश की प्रांतीय भावना को एक राष्ट्र - भाव में बदल देने की विधि कोई जानना चाहे तो वह सखाराम देऊसकर के जीवन से सीखे । ' श्री देऊसकर जी जन्म से महाराष्ट्रीय थे किन्तु कर्म से बंगाली थे । वे जहाँ महाराष्ट्र के पुत्ररत्न थे , वहां बंगाल के पुरुष - रत्न थे |
इनका जन्म 17 दिसंबर 1869 को महाराष्ट्र प्रान्त के रत्नागिरी में हुआ था । एक प्रान्त के नायकों तथा महापुरुषों का परिचय दुसरे प्रान्त से हो तथा देश के विशेष व्यक्तित्व सार्वदेशिक स्तर पर सम्मानित तथा प्रेरक हों ---- इस विशाल भावना के अधीन श्री सखाराम ने बंगला भाषा में जो प्रणयन किया है वह अपना एक विशेष महत्व रखता है ।
श्री सखाराम ने बंगला में महादेव गोविन्द रानाडे का एक सुन्दर जीवन चरित्र लिखकर बंगाल को महाराष्ट्र की प्रतिभा से परिचय किया । साथ ही अपने लेखों तथा भाषणों द्वारा समय - समय पर गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक के नाम तथा उनके महान कार्य बंगवासियों के ह्रदय में स्थापित कर दिए । लाल , बाल, पाल का नय विधान बंगाल के घर - घर में गूंजने लगा |
श्री सखाराम ने बंगला में छत्रपति शिवाजी का जीवन - चरित्र लिखा जो ' शिवाजी - दीक्षा ' के नाम से प्रकाशित हुआ । उन्होंने बंगालियों के बीच शिवाजी जन्मोत्सव मनाने की प्रथा का प्रचलन किया । इस प्रकार बंगाल तथा महाराष्ट्र को एक सूत्र में गूँथ देने शुभ श्रेय श्री सखाराम जी को जाता है ।
इनका जन्म 17 दिसंबर 1869 को महाराष्ट्र प्रान्त के रत्नागिरी में हुआ था । एक प्रान्त के नायकों तथा महापुरुषों का परिचय दुसरे प्रान्त से हो तथा देश के विशेष व्यक्तित्व सार्वदेशिक स्तर पर सम्मानित तथा प्रेरक हों ---- इस विशाल भावना के अधीन श्री सखाराम ने बंगला भाषा में जो प्रणयन किया है वह अपना एक विशेष महत्व रखता है ।
श्री सखाराम ने बंगला में महादेव गोविन्द रानाडे का एक सुन्दर जीवन चरित्र लिखकर बंगाल को महाराष्ट्र की प्रतिभा से परिचय किया । साथ ही अपने लेखों तथा भाषणों द्वारा समय - समय पर गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक के नाम तथा उनके महान कार्य बंगवासियों के ह्रदय में स्थापित कर दिए । लाल , बाल, पाल का नय विधान बंगाल के घर - घर में गूंजने लगा |
श्री सखाराम ने बंगला में छत्रपति शिवाजी का जीवन - चरित्र लिखा जो ' शिवाजी - दीक्षा ' के नाम से प्रकाशित हुआ । उन्होंने बंगालियों के बीच शिवाजी जन्मोत्सव मनाने की प्रथा का प्रचलन किया । इस प्रकार बंगाल तथा महाराष्ट्र को एक सूत्र में गूँथ देने शुभ श्रेय श्री सखाराम जी को जाता है ।
No comments:
Post a Comment