पंख कटे जटायु को गोद में लेकर भगवान राम ने उसके सर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा ---- " तात ! तुम जानते थे रावण महाबलवान है , फिर उससे तुमने युद्ध क्यों किया ? "
जटायु ने गर्वोन्नत वाणी में कहा ----- " प्रभो ! मुझे मृत्यु का भय नहीं है , भय तो तब था जब अन्याय के प्रतिकार की शक्ति नहीं जागती ? "
भगवान राम ने कहा ---- तात ! तुम धन्य हो | तुम्हारी जैसी संस्कारवान आत्माओं से संसार को कल्याण का मार्गदर्शन मिलेगा | "
जटायु ने गर्वोन्नत वाणी में कहा ----- " प्रभो ! मुझे मृत्यु का भय नहीं है , भय तो तब था जब अन्याय के प्रतिकार की शक्ति नहीं जागती ? "
भगवान राम ने कहा ---- तात ! तुम धन्य हो | तुम्हारी जैसी संस्कारवान आत्माओं से संसार को कल्याण का मार्गदर्शन मिलेगा | "
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