डॉ . भाभा विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक होने के साथ - साथ बहुत गहरे कला प्रेमी और धर्म प्राण व्यक्ति थे । संगीत तो उन्हें इतना प्रिय था कि जब वे अपने अनुसन्धान कार्यों में थकते तो संगीत द्वारा ही अपनी थकान दूर करते थे ।
डॉ . भाभा उन वैज्ञानिकों में से थे जिनका विश्वास भौतिक तथा आध्यात्मिक, दोनों विज्ञानों पर समान रूप से था और जो दोनों से लाभ उठाने की कला से पूरी तरह परिचित थे |
उन्होंने कहा था ------ " विज्ञान संसार के विनाश के लिए नहीं बल्कि दुःखी एवं संतप्त मानवता के कल्याण और उसकी सेवा करने के लिए है । अणुशक्ति का सही उपयोग तब है जब उससे कृषि के उत्तम साधन खोजें जा सके , जिससे देश का धन - धान्य बढ़े, उसकी गरीबी और भुखमरी दूर हो सके । रेतीले तथा अनुपजाऊ क्षेत्रों को उर्वर बनाने में उपयोग की गई अणुशक्ति तथा विभिन्न बीमारियों के उपचार हेतु उपयोग की गई अणुशक्ति सदुपयुक्त मानी जायेगी ।
उनका कहना था कि एक अणुशक्ति ही नहीं ज्ञान - विज्ञान की कोई भी शक्ति विनाश में न लगाकर निर्माण में ही लगाई जानी चाहिए | न केवल विद्दा - बल , बल्कि धन - बल और जन- बल का उपयोग भी मानव निर्माण की दिशा में ही किया जाना चाहिए । "
डॉ . भाभा उन वैज्ञानिकों में से थे जिनका विश्वास भौतिक तथा आध्यात्मिक, दोनों विज्ञानों पर समान रूप से था और जो दोनों से लाभ उठाने की कला से पूरी तरह परिचित थे |
उन्होंने कहा था ------ " विज्ञान संसार के विनाश के लिए नहीं बल्कि दुःखी एवं संतप्त मानवता के कल्याण और उसकी सेवा करने के लिए है । अणुशक्ति का सही उपयोग तब है जब उससे कृषि के उत्तम साधन खोजें जा सके , जिससे देश का धन - धान्य बढ़े, उसकी गरीबी और भुखमरी दूर हो सके । रेतीले तथा अनुपजाऊ क्षेत्रों को उर्वर बनाने में उपयोग की गई अणुशक्ति तथा विभिन्न बीमारियों के उपचार हेतु उपयोग की गई अणुशक्ति सदुपयुक्त मानी जायेगी ।
उनका कहना था कि एक अणुशक्ति ही नहीं ज्ञान - विज्ञान की कोई भी शक्ति विनाश में न लगाकर निर्माण में ही लगाई जानी चाहिए | न केवल विद्दा - बल , बल्कि धन - बल और जन- बल का उपयोग भी मानव निर्माण की दिशा में ही किया जाना चाहिए । "
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