लियोनार्दो दा विची जब दो वर्ष के थे तब उनकी माता ने उनके पिता से तलाक लेकर दूसरे व्यक्ति से विवाह कर लिया | जब किसी बालक को उसकी माता द्वारा दुलार पाते देखते तो वह उदास हो जाते । एक दिन उन्होंने पिता से पूछ ही लिया ---- " पिताजी आप नई माँ क्यों नहीं ले आते ? " पिता ने कहा ---- " जब तुम्हे जन्म देने वाली माँ ही प्रेम न दे सकी तो यह आवश्यक नहीं कि नयी माँ तुम्हे प्यार दे , वह तुम्हारी उपेक्षा भी तो कर सकती है । "
पिता ने कहा ----- " प्यार पाने का रास्ता किसी से प्यार की भीख मांगना नहीं है वरन उसे जीतना है । तुम चाहो तो अपने जीवन में एक व्यक्ति का ही नहीं हजारों व्यक्तियों का प्यार पा सकते
हो । " बालक ने कहा ---- 'सो कैसे पिताजी ? '
पिता ने कहा ---- " अपनी प्रतिभा को विकसित करके । किसी के स्नेह , श्रद्धा को पाने का एक ही मार्ग है और वह यह है कि अपने को उतना अच्छा , योग्य और प्रतिभाओं का आगार बनाओ कि हर कोई तुम्हारे प्रखर व्यक्तित्व के आगे अभिभूत हो उठे , तुम्हे प्यार करने लगे । "
अपने अनुभवी पिता की बात बालक लियोनार्दो ने गाँठ बाँध ली और संकल्प कर लिया कि वह प्यार के लिए किसी के आगे रोयेगा , गिडगिडायेगा नहीं वरन वह अपने को ऐसा बनाएगा कि हर कोई उसे चाहने लगे ।
बचपन में माता के स्नेह से वंचित यही बालक अपने जीवन में हजारों का ह्रदय जीतने में सफल हुआ । साथ ही ' लियोनार्दो दा विची ' सर्व विद्दा विशारद , इतिहास का आश्चर्य भी बन गया l
पिता ने कहा ----- " प्यार पाने का रास्ता किसी से प्यार की भीख मांगना नहीं है वरन उसे जीतना है । तुम चाहो तो अपने जीवन में एक व्यक्ति का ही नहीं हजारों व्यक्तियों का प्यार पा सकते
हो । " बालक ने कहा ---- 'सो कैसे पिताजी ? '
पिता ने कहा ---- " अपनी प्रतिभा को विकसित करके । किसी के स्नेह , श्रद्धा को पाने का एक ही मार्ग है और वह यह है कि अपने को उतना अच्छा , योग्य और प्रतिभाओं का आगार बनाओ कि हर कोई तुम्हारे प्रखर व्यक्तित्व के आगे अभिभूत हो उठे , तुम्हे प्यार करने लगे । "
अपने अनुभवी पिता की बात बालक लियोनार्दो ने गाँठ बाँध ली और संकल्प कर लिया कि वह प्यार के लिए किसी के आगे रोयेगा , गिडगिडायेगा नहीं वरन वह अपने को ऐसा बनाएगा कि हर कोई उसे चाहने लगे ।
बचपन में माता के स्नेह से वंचित यही बालक अपने जीवन में हजारों का ह्रदय जीतने में सफल हुआ । साथ ही ' लियोनार्दो दा विची ' सर्व विद्दा विशारद , इतिहास का आश्चर्य भी बन गया l
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