जस्टिस रानाडे अंग्रेजी युग के बम्बई हाई कोर्ट के सम्मानित जज थे । उनका कहना था -- परिस्थितियों से किसी को हीन स्थिति मिली तो इसका अर्थ यह नहीं होता कि उन्हें दुत्कारा जाये और सामाजिक न्याय से वंचित रखा जाये । उन्हें यह बड़ा दुःख था कि मनुष्य , मनुष्य में भेद जताकर उसका अनादर करता है ।
एक बार की बात है रानाडे साहब अपने कमरे में पुस्तक पढ़ रहे थे , उस समय कोई अत्यंत दीन - दरिद्र व्यक्ति उनसे मिलने आया । उन्होंने अपने चपरासी से कहा --- " उस व्यक्ति को आदरपूर्वक भीतर ले आओ । " वह कोई छोटी जाति का था, अत: नमस्कार करके एक ओर खड़ा हो गया और कहने लगा --- " हुजूर ! मेरी एक प्रार्थना है । "
जज साहब ने कहा --- " सो तो मैं सुनूँगा, पहले आप कुर्सी पर बैठिये | "
उसने कहा --- " हुजूर ! मैं छोटी जाति का आदमी हूँ , आपके सामने कैसे बैठ जाऊं, यों ही खड़े - खड़े अर्ज कर देता हूँ । "
रानाडे जानते थे कि उसके साथ हर जगह उपेक्षापूर्ण व्यवहार होता है , इसलिए वह यहाँ भी डर रहा है । जज साहब ने उसे आग्रह पूर्वक कुर्सी पर बैठाया , फिर उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी |
बम्बई नगरपालिका के विरुद्ध केस था , साधारण व्यक्ति होने के कारण उसे हर जगह डांट - फटकार मिली , कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई ।
उसकी बात सुनकर जज साहब ने कहा --- " मैं सब कुछ आज ही ठीक कर दूंगा । " आश्वासन पाकर उस दीन - जन की आँखे भर आईं ।
जज साहब ने उसी दिन उसका वर्षों से रुका काम निबटाया और यह भी हिदायत दी कि किसी को भी अशिक्षित या अछूत मानकर उपेक्षित और न्याय से वंचित न किया जाये ।
एक बार की बात है रानाडे साहब अपने कमरे में पुस्तक पढ़ रहे थे , उस समय कोई अत्यंत दीन - दरिद्र व्यक्ति उनसे मिलने आया । उन्होंने अपने चपरासी से कहा --- " उस व्यक्ति को आदरपूर्वक भीतर ले आओ । " वह कोई छोटी जाति का था, अत: नमस्कार करके एक ओर खड़ा हो गया और कहने लगा --- " हुजूर ! मेरी एक प्रार्थना है । "
जज साहब ने कहा --- " सो तो मैं सुनूँगा, पहले आप कुर्सी पर बैठिये | "
उसने कहा --- " हुजूर ! मैं छोटी जाति का आदमी हूँ , आपके सामने कैसे बैठ जाऊं, यों ही खड़े - खड़े अर्ज कर देता हूँ । "
रानाडे जानते थे कि उसके साथ हर जगह उपेक्षापूर्ण व्यवहार होता है , इसलिए वह यहाँ भी डर रहा है । जज साहब ने उसे आग्रह पूर्वक कुर्सी पर बैठाया , फिर उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी |
बम्बई नगरपालिका के विरुद्ध केस था , साधारण व्यक्ति होने के कारण उसे हर जगह डांट - फटकार मिली , कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई ।
उसकी बात सुनकर जज साहब ने कहा --- " मैं सब कुछ आज ही ठीक कर दूंगा । " आश्वासन पाकर उस दीन - जन की आँखे भर आईं ।
जज साहब ने उसी दिन उसका वर्षों से रुका काम निबटाया और यह भी हिदायत दी कि किसी को भी अशिक्षित या अछूत मानकर उपेक्षित और न्याय से वंचित न किया जाये ।
No comments:
Post a Comment