हेनरी थोरो ने कहा था ------ " लोकतंत्र पर मेरी आस्था है , पर वोटों से चुने गये व्यक्ति स्वेच्छाचार करें मैं कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता । राज-संचालन उन व्यक्तियों के हाथ में होना चाहिए जिनमे मनुष्य मात्र के कल्याण की भावना और कर्तव्य परायणता विद्दमान हो और जो उसकी पूर्ति के लिए त्याग भी कर सकते हों । "
बुराइयाँ चाहे राजनैतिक हों अथवा सामाजिक , नैतिक या धार्मिक जिस देश के नागरिक उनके विरुद्ध उठ खड़े हो जाते हैं , सविनय असहयोग से उसकी शक्ति कमजोर कर देते हैं वहां अमेरिका की तरह ही सामाजिक जीवन में परिवर्तन अवश्य होते हैं ।
थोरो ने एक ऐसे तत्वदर्शन को जन्म दिया जो एक साधारण व्यक्ति को भी चट्टान की तरह मजबूत व स्थिर बना सकता है ।
बुराइयाँ चाहे राजनैतिक हों अथवा सामाजिक , नैतिक या धार्मिक जिस देश के नागरिक उनके विरुद्ध उठ खड़े हो जाते हैं , सविनय असहयोग से उसकी शक्ति कमजोर कर देते हैं वहां अमेरिका की तरह ही सामाजिक जीवन में परिवर्तन अवश्य होते हैं ।
थोरो ने एक ऐसे तत्वदर्शन को जन्म दिया जो एक साधारण व्यक्ति को भी चट्टान की तरह मजबूत व स्थिर बना सकता है ।
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